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मरीज का जीवन बचाने को सुनील ने बना लिया लक्ष्य, दिन-रात करते हैं काम

लगातार बढ़ रहे इस कोरोना वायरस संक्रमण पर न जाने कब काबू पाया जा सकेगा लेकिन उससे पहले यह जरूरी है कि हर संक्रमित को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके उसे ऑक्सीजन मिल सके और अस्पताल में बेड।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 06:35 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 06:35 PM (IST)
मरीज का जीवन बचाने को सुनील ने बना लिया लक्ष्य, दिन-रात करते हैं काम।

जागरण संवाददाता, देहरादून। लगातार बढ़ रहे इस कोरोना वायरस संक्रमण पर न जाने कब काबू पाया जा सकेगा, लेकिन उससे पहले यह जरूरी है कि हर संक्रमित को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके, उसे ऑक्सीजन मिल सके और अस्पताल में बेड। ये कहना है दून मेडिकल कॉलेज में पिछले नौ साल से एंबुलेंस चला रहे सुनील कुमार का। सुनील ने हर मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उसकी रक्षा करने को ही अपना लक्ष्य बना लिया है। 

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सुनील पिछले एक साल में सैकड़ों कोरोना मरीजों को दून अस्पताल तक पहुंचा चुके हैं और न जाने कितने शवों को अस्पताल से श्मशान। कोरोना की भयावह स्थिति के बीच भी सुनील का जुनून ही है, जो उन्हें हर दिन नई ऊर्जा देता है। सुनील बताते हैं कि पहले सामान्य दिनों में दोपहर की शिफ्ट में छह और रात की शिफ्ट में 12 घंटे की ड्यूटी होती थी, लेकिन अब दिन रात सब एक है। जब भी फोन आता है तो वह निकल पड़ते हैं कोरोना मरीज को अस्पताल पहुंचाने। 

सुबह घर से निकलने के बाद रात को वापस आने का कोई समय नहीं होता। सुनील विधानसभा रोड स्थित शिवलोक कॉलोनी में परिवार के साथ रहते हैं। सुनील कहते हैं कि काम से कोई गुरेज नहीं, लेकिन ड्यूटी की सबसे बुरी बात यही है कि आप अपने परिवार के पास भी नहीं जा सकते। सवा साल से वो अपनी मां, पत्नी और 14 साल के बच्चे की सुरक्षा के लिए उनसे दूरी बना कर अलग कमरे में रह रहे हैं। 

ड्यूटी के दौरान उन्हें कई दफा संक्रमित मरीजों को एंबुलेंस में रखने और उतारने में आमजन की मदद करनी होती है। कई बार जब घर वाले भी शव को लावारिस छोड़ देते हैं तो उन्हें उठाकर श्मशाम भी पहुंचाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कोरोना से अपनों के बीच जो ये दीवार खड़ी की है, यह उन्हें बहुत चुभती है। भगवान से यही प्रार्थना है कि यह दौर जल्द खत्म हो जाए। 

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