आरटीई की 73 फीसद सीटें रह सकती हैं खाली, जानिए क्या है वजह
शिक्षा सत्र 2019-20 के लिए आरटीई की अभी तक करीब 27 फीसद सीटें ही भरी हैं। ऐसा पहली दफा हुआ है लिहाजा शिक्षा विभाग और शासन को भी इस और गंभीरता से मंथन करना चाहिए।
By Edited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 06:45 PM (IST)
v style="text-align: justify;">देहरादून, जेएनएन। इसे आरटीई (शिक्षा का अधिकार) की पेचीदगी कहें या औपचारिकताओं की फेहरिस्त, निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का विकल्प होने के बाद भी सीटें नहीं भर पा रही हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि आंकड़े बताते हैं कि शिक्षा सत्र 2019-20 के लिए आरटीई की अभी तक करीब 27 फीसद सीटें ही भरी हैं। ऐसा पहली दफा हुआ है, लिहाजा शिक्षा विभाग और शासन को भी इस और गंभीरता से मंथन करना चाहिए।
देहरादून की पहचान एजुकेशन हब के रूप में है। जहां हर अभिभावक की यह ख्वाहिश रहती है कि उसका बच्चा अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़े। उस पर यदि सरकारी खर्च पर पढ़ने का अवसर मिले तो यह मौका भला कौन चूकेगा। हम बात कर रहे हैं शिक्षा का अधिकार की। जिसके तहत अपवंचित वर्ग के छात्रों के लिए निजी स्कूलों में 25 फीसद सीटें आरक्षित रहती हैं। हर वर्ष आरटीई में दाखिले के लिए मारामारी रहती है, लेकिन जिले में इस साल आरक्षित 4900 सीट पर केवल 3184 रजिस्ट्रेशन ही हो पाए। इनमें से भी कई दाखिला प्रक्रिया में फिट नहीं बैठे।
327 मामले फर्जी होने के कारण बाहर कर दिए गए। जबकि तय डेडलाइन निकल जाने के कारण 1534 का सत्यापन ही नहीं हो पाया। ऐसे में अभी तक सिर्फ 1323 बच्चों को ही प्रवेश के लिए अर्ह पाया गया है। जिला शिक्षाधिकारी राजेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सत्यापन से चूके अभ्यर्थियों को अभी मौका दिया जाएगा। इस पर विचार किया जा रहा है और डेडलाइन बढ़ाने की तैयारी है। आय प्रमाण पत्र में खेल दाखिला प्रक्रिया के दौरान फर्जी पाए गए अधिकाश मामलों में आय प्रमाण पत्र (इनकम सर्टिफिकेट) फर्जी थे। ऑनलाइन प्रक्रिया में बिना आय प्रमाण पत्र जमा किए आवेदन प्रक्रिया ही पूरी नहीं होती। काफी बड़ी संख्या में अभिभावकों ने फर्जी प्रमाण पत्र जमा किए।
जनपद देहरादून में अभी तक की स्थिति
-4900 सीटें हैं आरटीई की जनपद में
-3184 बच्चों के आए आवेदन
-1323 बच्चों का हुआ सत्यापन
-1534 बच्चों का नहीं हुआ सत्यापन
-327 बच्चों का आवेदन पाया गया फर्जी
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