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सुभाषनगर प्राथमिक स्कूल में बच्चों को रोज नहीं मिलता मिड-डे मील, विभाग ने बैठाई जांच

रायपुर ब्लॉक के सुभाषनगर स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को रोजाना मिड-डे मील नहीं दिया जा रहा है। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग ने जांच बैठा दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 06:54 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:54 PM (IST)
सुभाषनगर प्राथमिक स्कूल में बच्चों को रोज नहीं मिलता मिड-डे मील, विभाग ने बैठाई जांच
सुभाषनगर प्राथमिक स्कूल में बच्चों को रोज नहीं मिलता मिड-डे मील, विभाग ने बैठाई जांच

देहरादून, जेएनएन। मिड-डे मील योजना पर स्कूलों के शिक्षक पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। प्रदेश भर से मिड-डे मील में गड़बड़ी को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। ताजा मामला रायपुर ब्लॉक के सुभाषनगर स्थित प्राथमिक विद्यालय का है। यहां बच्चों को रोजाना मिड-डे मील नहीं दिया जा रहा। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग ने जांच बैठा दी है। 

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दरअसल, सुभाषनगर के प्राथमिक स्कूल में मिड-डे मील नहीं बनने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इनका संज्ञान लेने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच बैठा दी। गुरुवार को जब दैनिक जागरण की टीम स्कूल पहुंची, तब भी यहां मिड-डे मील नहीं बनाया गया था और न ही स्कूल की प्रधानाध्यापिका स्कूल पहुंची थीं। मौके पर मौजूद शिक्षकों ने बताया कि प्रधानाध्यापिका की तबीयत खराब रहती है। वहीं, रायपुर ब्लॉक की उप शिक्षा अधिकारी मोनिका बम ने बताया कि सुभाषनगर प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील नहीं बनने की शिकायत अभिभावकों ने की थी। इस पर स्कूल का निरीक्षण किया गया और शिकायत के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी गई। 

स्कूल में पढ़ते हैं 91 छात्र 

प्राथमिक स्कूल सुभाषनगर में वर्तमान में 91 छात्रों अध्यनरत हैं। मिड-डे मील योजना के तहत स्कूल में पढ़ रहे छात्रों को एक दिन में सौ ग्राम चावल और चार रुपये 48 पैसा कुकिंग का खर्चा दिया जाता है। इसमें बीस ग्राम दाल, सब्जी, गैस सिलिंडर, प्याज- टमाटर आदि की लागत शामिल होती है। वहीं, हफ्ते में एक दिन पांच रुपये अंडे के लिए दिए जाते हैं। इस हिसाब से अगर एक दिन भी 91 बच्चों को खाना नहीं मिले तो लगभग 500 रुपये बच जाते हैं। 

रायपुर ब्लॉक की उप शिक्षाधिकारी मोनिका ने बताया कि स्कूलों को महीने के पहले ही हफ्ते में मिड-डे मील के लिए पैसे भेज दिए जाते हैं। स्कूल का यह कहना गलत है कि पैसे समय पर और पूरे नहीं मिल रहे। पिछले महीने की उपस्थिति और अगले महीने की संभावित उपस्थिति दोनों के आधार पर पैसे दिए जाते हैं। 

वहीं, जिला शिक्षाधिकारी आरएस रावत का कहना है कि उप शिक्षाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिक विद्यालय की जांच शुरू हो गई है। शुरुआती जांच में स्कूल में अनियमितताएं पायी गई हैं। हालांकि, जांच पूरी होने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। 

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इधर, प्रधानाध्यापिका मीना रावत का कहना है कि जिस दिन शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल में निरीक्षण के लिए पहुंचे थे, उस दिन सिलिंडर खत्म हो गया था। मैं लंबे समय से बीमार चल रही हूं। मेडिकल लीव पर हूं। बीमारी के चलते वीआरएस लेने का विचार भी कर रही हूं। 

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