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चतुर्वेदी के मामलों के हस्तांतरण पर उत्तराखंड की आपत्ति

केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) की नैनीताल खंडपीठ में चल रहे आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के मामलों को कैट की दिल्ली खंडपीठ में हस्तांतरित किए जाने की केंद्र की याचिका पर उत्तराखंड सरकार ने आपत्ति जताई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 03:01 AM (IST)
चतुर्वेदी के मामलों के हस्तांतरण पर उत्तराखंड की आपत्ति
चतुर्वेदी के मामलों के हस्तांतरण पर उत्तराखंड की आपत्ति

राज्य ब्यूरो, देहरादून: केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) की नैनीताल खंडपीठ में चल रहे आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के मामलों को कैट की दिल्ली खंडपीठ में हस्तांतरित किए जाने की केंद्र की याचिका पर उत्तराखंड सरकार ने आपत्ति जताई है। ट्रिब्यूनल में दाखिल शपथ पत्र में उत्तराखंड ने कहा है कि चतुर्वेदी राज्य के वरिष्ठ अधिकारी हैं और मामले दिल्ली हस्तांतरित किए जाने से यहां कामकाज पर असर पड़ने के साथ ही उन पर आर्थिक बोझ भी पड़ेगा। फिर मामले अंतिम चरण में हैं। ऐसे में इन्हें दिल्ली स्थानांतरित करने का कोई औचित्य नहीं है। उत्तराखंड की ओर से यह भी अनुरोध किया गया है कि चतुर्वेदी से जुड़े मामलों के हस्तांतरण संबंधी याचिका को ही रद कर दिया जाए।

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आइएफएस चतुर्वेदी ने दिल्ली एम्स में अपने मुख्य सतर्कता अधिकारी के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए थे। इसके कुछ समय बाद उनकी वार्षिक मूल्यांकन आकलन रिपोर्ट जारी की गई। इस पर चतुर्वेदी ने आपत्ति जताते हुए कैट में इस मसले को उठाया था। कैट की दिल्ली खंडपीठ में इसकी सुनवाई चल रही थी। इस बीच चतुर्वेदी का तबादला उत्तराखंड हो गया। इस पर चतुर्वेदी की ओर से आग्रह किया गया कि दिल्ली कैट में जो भी लंबित मामले हैं, उन्हें भी नैनीताल हस्तांतरित कर दिया जाए।

इस बीच दिसंबर 2017 में केंद्र सरकार की ओर से कैट की नैनीताल खंडपीठ से चतुर्वेदी से जुड़े मामले दिल्ली कैट में हस्तांतरित करने को याचिका दायर की गई। इस पर उत्तराखंड सरकार को नोटिस भी जारी किए गए। कहा गया कि कैट अधिनियम के तहत ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष के पास एक बेंच से दूसरे खंड में मामले स्थानांतरित किए जा सकते हैं।

प्रकरण में उत्तराखंड की ओर से हाल में ही कैट के समक्ष शपथपत्र दाखिल किया गया। इसमें कहा गया है कि नैनीताल में मामलों पर सुनवाई अब अंतिम दौर में है। ऐसे में इनके हस्तांतरण का औचित्य नहीं है।


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