ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मजबूत आइटी की दरकार, ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुधारने होंगे हालात
ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सबसे पहले इंटरनेट चाहिए। इसके बिना ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो सकती। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन सिस्टम तैयार किए बगैर हम इस दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते।
देहरादून, अशोक केडियाल। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सबसे पहले इंटरनेट चाहिए। इसके बिना ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो सकती। कोरोना महामारी के दौरान जो सबसे बड़ी सीख मिली, वह यह कि हमें ऑनलाइन सिस्टम को विकसित करने की जरूरत है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन सिस्टम तैयार किए बगैर हम इस दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते। आज भी ऑनलाइन पढ़ाई के मामले में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्र पीछे हैं। इसलिए सरकार को भविष्य में ऑनलाइन पढ़ाई को गंभीरता से लेना होगा, तभी ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को इसका लाभ मिलेगा।
पहाड़ी जिलों में सूचना प्रौद्योगिकी विकसित करने के साथ-साथ विद्युत आपूर्ति भी एक बड़ी समस्या है। अधिकतर गांवों में विद्युत आपूर्ति ज्यादातर समय बाधित रहती है, क्योंकि इंटरनेट तभी चलेगा, जब बिजली आए। इसलिए जरूरी है कि ग्रामीण इलाकों में निर्बाध बिजली आपूर्ति हो और इंटरनेट की सुविधा छात्रों को आसानी से सुलभ कराई जाए। तभी इस दिशा में प्रगति होगी।
राहत का रास्ता एफडीआर धनराशि
महामारी के कारण सभी निजी उच्च शिक्षण संस्थान 15 मार्च से बंद हैं। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ये कब खुलेंगे, यह तय नहीं है। निजी शिक्षण संस्थान स्वयं के वित्त से खोले जाते हैं। छात्रों की फीस से ही कॉलेज के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है। वर्तमान परिस्थितियों में अधिकांश संस्थाओं ने पिछले तीन माह का वेतन अपने स्वयं के संसाधनों से दिया, लेकिन अब लगातार बंदी के कारण कुछ कॉलेजों के सामने आर्थिक संकट आ गया है।
निजी कॉलेज खुलने के समय कोर्स की संबद्धता के लिए विश्वविद्यालयों में एक निश्चित धनराशि की एफडीआर जमा कराई जाती है। कई कोर्सों वाले कॉलेजों की एफडीआर करोड़ों में है। यह एफडीआर ऐसे ही संकटकाल के लिए जमा करवाई जाती है, जिससे स्टाफ की सैलरी समय से दी जा सके। अब एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस कॉलेज ने सरकार से इस धनराशि के उपयोग की अनुमति मांगी है।
यूजीसी ऑनलाइन परीक्षा का पक्षधर
कोरोना के कारण बदली परिस्थितियों ने जिस तरह ऑनलाइन पढ़ाई के महत्व को बढ़ाया, अब इसी राह पर चलते हुए ऑनलाइन परीक्षाओं की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने पहले चरण में उच्च शिक्षा संस्थानों में निरंतर कम से कम 25 फीसदी पढ़ाई जारी रखने की सिफारिश की है। साथ ही अपने संसाधनों के बलबूते आगे ऑनलाइन परीक्षा की तैयारी करने की सलाह भी दी है। उत्तराखंड में अत्याधुनिक फुलप्रूफ ऑनलाइन परीक्षा सिस्टम अपनाने वाला यूनिवॢसटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) पहला विवि है।
यहां 22 सौ से अधिक छात्र-छात्राओं ने सेमेस्टर परीक्षा ऑनलाइन दी। यह एक अभिनव प्रयोग माना जा रहा है, जो भविष्य की सबसे बड़ी जरूरत भी बन सकता है। फिलहाल 31 जुलाई तक कोई परीक्षा नहीं होनी है। ऐसे में यूजीसी की कोशिश है कि विश्वविद्यालय ऑनलाइन मोड पर परीक्षाओं का आयोजन कराएं, क्योंकि अब यह जरूरी भी है।
लॉकडाउन में अनुकरणीय बने शिक्षक
गुरु का स्थान भगवान तुल्य है। जिसे कई शिक्षक सच साबित भी कर रहे हैं। ऐसे ही लगनशील शिक्षक कोरोना महामारी संक्रमण के दौरान शिक्षा संस्थानों के बंद होने के बाद भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे कर्मयोगी शिक्षक चाहे सरकारी कॉलेजों में हों या किसी निजी संस्थान में। उन्हें छात्रों की पढ़ाई की सदैव चिंता रहती है। ऐसे शिक्षकों से अन्य को प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रदेश के कुछ निजी कॉलेजों के शिक्षक अपने छात्रों को वाट्सएप, यूट्यूब आदि माध्यम से पढ़ा रहे हैं।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में ई-ग्रंथालय का शुभारंभ, सीएम रावत बोले- विद्यार्थियों के लिए बड़ी सौगात
ये शिक्षक पढ़ाई के साथ छात्रों की परीक्षा भी करा रहे हैं। राजकीय महाविद्यालय रायपुर में 30 जून तक स्नातक के छात्रों को कोरोना से संबंधित 55 से अधिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की जा चुकी हैं। इससे यह संदेश गया कि महाविद्यालय अपने छात्रों की पढ़ाई को लेकर संजीदा हैं। ऐसे संस्थानों और शिक्षकों की सरकार को कद्र करनी चाहिए। तभी छात्र प्रगति कर सकेंगे।
यह भी पढ़ें: इस माह ऑफलाइन परीक्षाओं पर लगा ब्रेक, गाइडलाइन का किया इंतजार