जेलों में कैदियों की संख्या घटाने को उठेंगे कदम, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिए निर्देश
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेशों का पत्र लिखकर जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। देशभर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का सबब बनती जा रही है। इस कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेशों का पत्र लिखकर जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जिला स्तर पर गठित जिला विधिक सेवा समिति की बैठकें करने के साथ ही नियमानुसार कैदियों को रिहा करने अथवा बेल देने को कहा गया है।
देश की अन्य जेलों की भांति उत्तराखंड की जेलों में भी कैदियों की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। प्रदेश की कुल 11 जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता 3420 है। बावजूद इसके हालात यह हैं कि इन जेलों में तकरीबन 5400 कैदी बंद है। यह संख्या जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा है। इनमें भी सबसे अधिक कैदी हल्द्वानी और देहरादून जेल में बंद हैं। जेलों में बंद कैदियों में से विचाराधीन कैदियों की संख्या अधिक है। यानी ऐसे कैदी जिन पर अभी मुकदमें चल रहे हैं और फिलहाल फैसला नहीं आया है। शेष संख्या सिद्धदोष कैदियों की है।
जेलों में कैदियों की भीड़ केंद्र सरकार की पेशानी पर भी बल डाले हुए है। ऐसे में गृह मंत्रलय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर इस मसले को गंभीरता से लेने को कहा है। गृह मंत्रलय ने सभी प्रदेश में गठित अंडर ट्रायल समितियों से अपने यहां विचाराधीन कैदियों के लंबित प्रकरणों को तेजी से निस्तारित करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि ऐसे कैदियों के बारे में भी सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए, जो गरीबी के कारण बेल बांड भरने में सक्षम नहीं है और इसी कारण जेलों में बंद रहने को मजबूर हैं।
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केंद्र ने इसके साथ ही जिला विधिक सेवा समिति के सचिव से इस तरह के मामलों पर नजर रखने को कहां है, जिनमें दोषियों को जुर्माना देकर छोड़ा जा सकता है। इसके अलावा प्रत्येक जिलों में गरीबों को विधिक सेवा उपलब्ध कराने को वकीलों का पैनल तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं। प्रदेश सरकार को भी इस संबंध में पत्र प्राप्त हो गया है और अब इस दिशा में कार्रवाई शुरू की जाएगी।
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