धूलिया बंधु के शिकार लोगों के दर्ज हुए बयान, जानिए क्या है पूरा मामला
करोड़ों की ठगी करने वाले मृणाल धूलिया की ठगी के शिकार दो लोगों के पुलिस ने बयान दर्ज कर लिए हैं।
देहरादून, जेएनएन। नौकरी के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले मृणाल धूलिया की ठगी के शिकार दो लोगों के पुलिस ने बयान दर्ज किए। अन्य पीड़ितों को भी पुलिस ने फोन कर जल्द बयान दर्ज कराने को कहा है। इंस्पेक्टर नेहरू कॉलोनी राजेश शाह ने बताया कि इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद सामने आए दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाएगी।
बता दें कि मृणाल धूलिया पुत्र दिनेश चंद्र धूलिया निवासी जीटीएम, मोहकमपुर और उसके भाई नीरज धूलिया ने नेहरू कॉलोनी में ओजस्वी एसोसिएट्स के नाम से ऑफिस खोल रखा था। दोनों उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में पंचकर्म अस्पताल का पीपीपी मोड पर संचालन भी करते थे। इसके चलते मृणाल की नजदीकी तत्कालीन कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा से हुई और बाद में वह खुद को विवि का संचालक बताने लगा।
इस बीच, विश्वविद्यालय में 135 पदों की भर्ती निकली। मृणाल धूलिया और उसके भाई ने एसोसिएट प्रोफेसर, लैब टेक्नीशियन और अन्य पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से वसूली शुरू कर दी। 15 पीड़ितों ने नेहरू कॉलोनी थाने में इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उसके बाद से कई और पीड़ित सामने आए हैं। नेहरू कॉलोनी इंस्पेक्टर ने बताया कि मामले में अब तक दो पीड़ितों के बयान दर्ज हो चुके हैं। अन्य को भी बयान के लिए बुलाया गया है। कई पीड़ित पर्वतीय जनपदों के रहने वाले हैं। उन लोगों ने भी जल्द आने को कहा है।
कला वर्ग वालों को भी करा दिया पंचकर्म सहायक का कोर्स
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अधिकारियों की नाक के नीचे युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ होता रहा। हद देखिए कि पंचकर्म सहायक का कोर्स करने के लिए अभ्यर्थी विज्ञान वर्ग से 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। पर यहां कला वर्ग के अभ्यर्थियों को भी दाखिला दे दिया गया। विवि के मुख्य परिसर में कक्षाएं चलीं पर किसी का भी ध्यान इस तरफ नहीं गया। या यूं कहें कि अधिकारी इस पर आंखें मूंदे रहे।
दरअसल, आयुर्वेद विश्वविद्यालय और धनवंतरी वैधशाला केरल के बीच पंचकर्म चिकित्सा संचालन के लिए 2015 में अनुबंध हुआ। अनुबंध खत्म होने के बाद तत्कालीन कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने इसके संचालन का जिम्मा मृणाल धूलिया को दे दिया। इसी के साथ शुरू हुआ फर्जीवाड़े का खेल। मृणाल धूलिया ने वैधशाला की आड़ में पंचकर्म सहायक का डिप्लोमा कोर्स शुरू किया।
ताज्जुब यह कि दाखिले के मानक तक तार-तार कर दिए गए। नियमानुसार किसी भी व्यक्ति को विज्ञान वर्ग (जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान व रसायन विज्ञान की अनिवार्यता) में 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। पर यहां कला वर्ग के अभ्यर्थियों को भी दाखिला दे दिया गया। यह मामला इसलिए भी बड़ा हो जाता है क्योंकि कक्षाएं वैधशाला नहीं, बल्कि विवि के आयुर्वेद संकाय में चलीं। पर न संकाय अध्यक्ष ने कभी आपत्ति की और न विवि के किसी अधिकारी ने।
बिना मान्यता ही यह कोर्स चलता रहा और बिना अर्हता कई युवाओं ने इसे कर भी लिया। कहा जा रहा है कि इस खेल में धूलिया बंधु को संरक्षण देने वाले तत्कालीन कुलसचिव मिश्रा थे। पर यह भी सच है कि मिश्रा को विवि से हटाए जाने के बाद भी धूलिया बंधु चांदी काटते रहे। किसी भी अधिकारी ने इस ओर कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई। गत वर्ष नए कुलपति के आने के बाद धूलिया बंधु की विवि से विदाई हुई।
मृत्युंजय मिश्रा को हाई कोर्ट से राहत नहीं
जालसाजी और भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के निलंबित रजिस्ट्रार मृत्युंजय मिश्रा को हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी है। हाई कोर्ट की विशेष पीठ ने मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को विशेष पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नारायण सिंह धानिक की कोर्ट मे मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। बता दें सतर्कता विभाग ने भ्रष्टाचार और जालसाजी के मामले में मिश्रा के साथ ही उनकी पत्नी श्वेता के अलावा शिल्पा त्यागी, नूतन रावत व अवतार सिंह के खिलाफ धारा-120 बी, 420, 468 व 471 के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-13 एक के तहत मामला दर्ज किया था।
आरोप था कि मिश्रा ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आयुर्वेदिक विवि के लाखों की धनराशि का दुरुपयोग किया। निचली कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद मिश्रा ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की, जिस पर पीठ ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
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