वसूली के आरोप में राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार को किया निलंबित
राज्य माल और सेवा कर विभाग (स्टेट जीएसटी) के राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार को निलंबित कर दिया गया है। अनिल कुमार पर वसूली का आरोप है।
देहरादून, जेएनएन। राज्य माल और सेवा कर विभाग (स्टेट जीएसटी) के राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार को निलंबित कर दिया गया है। अनिल कुमार पर आशारोड़ी चेकपोस्ट पर एक मालवाहक वाहन को रुकवाकर चालक की जेब से जबरन 9500 रुपये निकालने और इसके अलावा खाते में 20 हजार रुपये डलवाने का आरोप है। इसकी शिकायत माल मंगाने वाले देहरादून के व्यापारी अनिल माटा ने सीएम पोर्टल पर भी की थी। इस प्रकरण पर जागरण बुधवार के अंक में प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की थी। जिसका संज्ञान लेकर आयुक्त राज्य कर सौजन्या ने राज्य कर अधिकारी को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए।
कारोबारी अनिल माटा की शिकायत में अनिल कुमार का नाम नहीं था। हालांकि, जब विभाग ने इसकी जांच शुरू की तो मालवाहक वाहन के चालक से भी पूछताछ की गई। चालक को चेकपोस्ट पर तैनात रहे सभी अधिकारियों के उपलब्ध वीडियो व तस्वीरें दिखाई गई। चालक ने अनिल कुमार को पहचानते हुए कहा कि इसी अधिकारी ने उनके जेब से पैसे निकाले और 20 हजार रुपये भी बैंक खाते में मंगवाए।
इसके अलावा प्रारंभिक जांच में उपायुक्त कार्मिक यशपाल सिंह आदि को यह भी पता चला कि अनिल कुमार के कहने पर हिसार से माल भेजने वाले कारोबारी ने पकड़े गए वाहन को छोड़ने के लिए अजय मलिक नाम के व्यक्ति के खाते में 20 हजार रुपये डाले थे। यह राशि इसके तत्काल बाद एसबीआइ के एक खाते में ट्रांसफर कर दी गई। यह खाता अनिल कुमार के नाम पर दर्ज है। इस बात की जांच होनी अभी बाकी है कि यह अनिल कुमार राज्य कर अधिकारी ही हैं।
अनिल कुमार के खाते में कई ट्रांजेक्शन मिले
प्रारंभिक जांच में यह बात भी सामने आई है कि अजय मलिक के खाते में पैसे प्राप्त होने के बाद जिस अनिल कुमार के खाते में उसे भेजा गया है, उसमें इस तरह के कई छोटे-छोटे ट्रांजेक्शन मिले हैं। माना जा रहा है कि यह खाता इसी तरह वसूली की रकम को इधर से उधर भेजने में प्रयोग किए जा रहे हैं। इस प्रकरण में विजिलेंस की जांच भी शुरू होनी बताई गई है। इस तरह विजिलेंस के अधिकारियों की जांच में वसूली के कई राज खुल सकते हैं।
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2017 में भी निलंबित हो चुके अनिल
अनिल कुमार को जुलाई 2017 में तत्कालीन आयुक्त श्रीधर बाबू अद्दांकी ने निलंबित किया था। तब उन पर सेवा नियमावली के विपरीत आचरण करने और विभागीय क्रम को तोड़कर सीधे उच्च स्तर पर पत्राचार के आरोप लगे थे। करीब एक साल बाद अनिल कुमार को प्रतिकूल प्रविष्टि व एक वेतन बढ़ोत्तरी को स्थायी रूप से बाधित करते हुए बहाल किया गया था। इससे पहले भी अनिल कुमार जहां भी तैनात रहे, उनके आचरण को लेकर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं।
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