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राज्य आंदोलनकारियों ने गैरसैंण मार्च की दी चेतावनी

लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है। आंदोलनकारियों का कहना है कि यदि 15 दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान मार्च निकाला जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 04:46 PM (IST)
राज्य आंदोलनकारियों ने गैरसैंण मार्च की दी चेतावनी
लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है। आंदोलनकारियों का कहना है कि यदि 15 दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान मार्च निकाला जाएगा।

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शुक्रवार को कचहरी स्थित शहीद स्मारक में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच की बैठक में मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि बीते दिसंबर  में मांगों को लेकर विधानसभा मार्च निकाला गया। उस दौरान संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने उन्हें त्रिपक्षीय वार्ता का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक शासन ने वार्ता के लिए नहीं बुलाया है। नेगी ने कहा कि आंदोलनकारियों की मांग को अनदेखा किया जा रहा है।

संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा ने कहा कि आंदोलनकारियों को एकजुट होकर मांगों को लेकर संघर्ष करना होगा। इस दौरान पत्रकार व आंदोलनकारी राजन टोडरिया की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। बैठक में मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, पूरण सिंह लिंगवाल, विक्रम भंडारी, बलबीर सिंह नेगी, हरजिंदर सिंह, पुष्पलता सिल्माणा, सुरेश कुमार आदि मौजूद रहे।

ये हैं प्रमुख मांगे

  • मुजफ्फरनगर, खटीमा, मसूरी गोलीकांड के दोषियों को सजा मिले। 
  • राज्य आंदोलनकारियों का 10 फीसद शिथिलता (क्षैतिज आरक्षण एक्ट) लागू हो। 
  • चार वर्षों से चिह्नीकरण के लंबित मामलों का निस्तारण व एक समान पेंशन लागू हो। -शहीद परिवार और राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश लागू किया जाए। 
  • स्थायी राजधानी गैरसैंण घोषित की जाए, समूह-ग की व उपनल भर्ती में स्थायी निवास की अनिवार्यता हो। 
  • राज्य में सशक्त लोकायुक्त लागू हो और भूकानून वापस लिया जाए।  
  • उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीद स्मारकों का संरक्षण व निर्माण व्यवस्था लागू हो।

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