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आंदोलनकारी बोले, पहाड़ की राजधानी बननी चाहिए पहाड़ में ही

गांधी पार्क में एकत्र हुए विभिन्न आदोलनकारी संगठनों ने शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को याद किया। साथ ही कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बननी चाहिए।

By Edited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 07:24 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 08:05 AM (IST)
आंदोलनकारी बोले, पहाड़ की राजधानी बननी चाहिए पहाड़ में ही
आंदोलनकारी बोले, पहाड़ की राजधानी बननी चाहिए पहाड़ में ही

देहरादून, जेएनएन। शहीद राज्य आंदोलनकारियों के दोषियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर राज्य आदोलनकारियों ने गांधी पार्क में धरना दिया। इस दौरान आंदोलनकारियों ने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बननी चाहिए।

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गांधी पार्क में एकत्र हुए विभिन्न आदोलनकारी संगठनों ने रविवार को मसूरी, खटीमा, मुजफ्फरनगर, श्रीयंत टापू की घटनाओं में शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को याद किया। दोषियों को अब तक सजा नहीं दिए जाने पर रोष प्रकट किया। प्रदेश सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि समूह-ग की भर्ती में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए दरवाजे खोलने से प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय किया गया है।

गैरसैंण के मुद्दे पर भी राज्य आंदोलनकारी जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बननी चाहिए, लेकिन अभी तक की सरकारों ने इस मामले को शून्य कर दिया है। कहा कि जब तक राज्य आदोलनकारियों की मांग पूरी नहीं की जाती तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। 

इस दौरान वरिष्ठ राज्य आदोलनकारी रविंद्र जुगरान, जगमोहन नेगी, प्रदीप कुकरेती, ओमी उनियाल, सुलोचना भट्ट, जबर सिंह पावेल, रामलाल खंडूरी, देवी गोदियाल, महेंद्र रावत आदि ने विचार रखे। धरने में मोहन खत्री, मोहन रावत, उर्मिला शर्मा, कुलदीप कुमार शर्मा, केशव उनियाल, कैलाश बिष्ट, विक्रम भंडारी, जीतपाल बड़थ्वाल, राजेश्वरी चमोली आदि शामिल रहे।

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ये हैं प्रमुख माग 

  • राज्य के सभी आदोलनकारियों को एक समान पेंशन का लाभ 
  • दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को अविलंब लागू किया जाए 
  • उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाई जाए 
  • राज्य आदोलनकारियों की सभी सुविधाओं को बहाल किया जाए 
  • शहीद आदोलनकारियों के परिजनों को न्याय दिलाया जाए

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