यहां नहीं थम रही नशामुक्ति केंद्रों की मनमानी, निरीक्षण करने पहुंचीं सिविल जज को रोका; बुलानी पड़ी पुलिस
दून के नशामुक्ति केंद्रों की मनमानी थम ही नहीं रही है। एक नशामुक्ति केंद्र का निरीक्षण करने पहुंची सिविल जज को केंद्र के स्टाफ ने अंदर आने से रोक दिया। बाद में इसके लिए पुलिस भी बुलानी पड़ी।
जागरण संवाददाता, देहरादून। नशामुक्ति केंद्रों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। इसका ताजा उदाहरण देहरादून में शुक्रवार को देखने को मिला। एक नशामुक्ति केंद्र का निरीक्षण करने पहुंची सिविल जज को केंद्र के स्टाफ ने अंदर आने से रोक दिया। बाद में इसके लिए पुलिस बुलानी पड़ी।
उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सिविल जज सीनियर डिविजन नेहा कुशवाहा चंद्रबनी स्थित नशामुक्ति केंद्र में औचक निरीक्षण करने के लिए पहुंचीं। सूचना मिली थी कि नशामुक्ति केंद्र के बाहर कोई बोर्ड नहीं लगा है, ऐसे में केंद्र के अंदर अनियमितता होने की आशंका थी।
सिविल जज नेहा कुशवाहा जब टीम के साथ केंद्र के गेट पर पहुंचीं तो वहां तैनात एक कर्मचारी ने चेकिंग करने के लिए आदेश पत्र दिखाने को कहा। इसके बाद जज ने केंद्र के निदेशक से बात की तो उन्होंने भी अंदर आने की इजाजत नहीं दी। इसके बाद उन्होंने आइएसबीटी चौकी इंचार्ज को फोन कर पुलिस टीम भेजने को कहा। पुलिस के पहुंचने पर करीब 20 मिनट बाद उन्हें नशामुक्ति केंद्र में दाखिल होने दिया गया।
नेहा कुशवाहा ने बताया कि केंद्र के अंदर सीसीटीवी कैमरे तो लगे हैं, लेकिन वह चालू स्थिति में हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए एक महीने की फुटेज मंगवाई गई है। निरीक्षण में पता चला कि केंद्र में दाखिल होने वाले हर मरीज से 10 हजार प्रति माह शुल्क वसूला जाता है, लेकिन उस हिसाब से सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं। जांच में यह भी पता चला है कि केंद्र का स्टाफ वहां भर्ती मरीजों से घर पर भी बात नहीं करते देते। उन्होंने बताया कि घटना की पूरी रिपोर्ट बनाकर उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल को भेजी जाएगी।
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