उत्तराखंड में खेलों नीति तो बनी, पर नहीं मिला इसका लाभ
उत्तराखंड में नई खेल नीति बनने के बाद अभी तक इसके प्रविधान धरातल पर लागू नहीं हो पाए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इस नीति के विभिन्न प्रविधानों को लागू करने वाले शासनादेश को अभी तक जारी नहीं हो पाए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में नई खेल नीति जारी होने के बावजूद अभी तक इसके प्रविधान धरातल पर लागू नहीं हो पाए हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि इस नीति के विभिन्न प्रविधानों को लागू करने वाले शासनादेश अभी तक जारी नहीं हो पाए हैं। क्योंकि अब प्रदेश में आचार संहिता लग चुकी है इस कारण अब यह नीति पूरी तरह से धरातल पर लागू नहीं हो पाई है।
प्रदेश सरकार ने बीते वर्ष नवंबर में हुई बैठक में राज्य की नई खेल नीति को मंजूरी प्रदान की थी। नीति में ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर नकद पुरस्कार देने के साथ ही सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही रजत व कांस्य पदक जीतने वालों के साथ ही ओलिंपिक में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी को नकद पुरस्कार देने की बात कही गई। विश्व चैंपियनशिप से लेकर राष्ट्रीय खेलों के पदक विजेताओं को नकद धनराशि व सरकारी नौकरी देने की बात हुई। हालांकि, कहा गया कि नकद पुरस्कार व नौकरी देने के संबंध में शासनादेश अलग से जारी किया जाएगा। इसके अलावा नीति में खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बनाने की बात कही गई। ग्राम स्तर पर युवा प्रतिभाओं की पहचान के लिए खेल प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करने व खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने की बात हुई।
नीति में मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना के तहत बालक-बालिकाओं को प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई। इसके साथ ही प्रतिभावान खिलाड़ियों को जिला स्तर पर छात्रवृत्ति, खेल किट, ट्रेक सूट व खेल उपकरण दिए जाएंगे। हर जिले के 100 खिलाड़ियों को हर माह दो हजार रुपये की छात्रवृत्ति देने की बात कही। हालांकि, इसके लिए भी अलग से शासनादेश जारी करने को कहा गया।
खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए यात्रा सुविधा, राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में एसी-थ्री व स्लीपर कोच की सुविधा, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने को इकोनामी क्लास का टिकट, अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा और महाविद्यालय, व्यावसायिक पाठ्यक्रम और विश्वविद्यालयों में प्रवेश को पांच प्रतिशत खेल कोटा देने की बात कही गई। इसके लिए भी अलग से शासनादेश किए जाने की बात हुई। यह बात दीगर है कि इस नीति के इन प्रविधानों के लिए अभी तक कोई भी शासनादेश जारी नहीं हो पाया है। अब आचार संहिता लग चुकी है और नई सरकार का गठन होना है। ऐसे में नीति के ये प्रविधान कब और कैसे लागू हो पाएगा, यह नई सरकार ही तय करेगी।