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कोरोना ने छीनी खेल प्रशिक्षकों की रोजी-रोटी, भटक रहे दर-दर; जानें- क्या हैं हालात

कोविड-19 के कारण खेल प्रशिक्षकों खासकर निजी स्कूलों में सेवाएं दे रहे प्रशिक्षकों का रोजगार लॉकडाउन के बाद से खत्म हो गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 05:02 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 05:02 PM (IST)
कोरोना ने छीनी खेल प्रशिक्षकों की रोजी-रोटी, भटक रहे दर-दर; जानें- क्या हैं हालात
कोरोना ने छीनी खेल प्रशिक्षकों की रोजी-रोटी, भटक रहे दर-दर; जानें- क्या हैं हालात

देहरादून, जेएनएन। खेलों के माध्यम से रोजी-रोटी कमाने वाले प्रशिक्षकों को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है। कोविड-19 के कारण खेल प्रशिक्षकों खासकर निजी स्कूलों में सेवाएं दे रहे प्रशिक्षकों का रोजगार लॉकडाउन के बाद से खत्म हो गया है। यहां तक कि स्कूलों ने भी उनसे मुंह मोड़ा हुआ है। प्रशिक्षकों की बेबसी यह है कि उन्हें स्कूलों की नजरें इनायत होने का इंतजार करना पड़ रहा है।

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देहरादून के निजी स्कूलों में स्थाई प्रशिक्षकों के साथ ही कॉन्ट्रेक्ट आधार पर भी विभिन्न खेलों में प्रशिक्षकों की तैनाती की जाती है। इन कोचों को एक-दो घंटे की ड्यूटी के हिसाब से प्रतिमाह मानदेय मिलता है। बेसबॉल, स्केटिंग, मार्शल आर्ट सहित विभिन्न खेलों में प्रशिक्षक ज्यादा मानदेय कमाने के लिए एक से चार स्कूल तक दौड़-धूप करते हैं, जिससे  20-25 हजार रुपये प्रतिमाह कमा लें। किसी स्कूल में 10 माह तो किसी में सालभर का कार्यकाल मिलता है।नए सत्र से दोबारा कोचों को ज्वाइनिंग दी जाती है।

कोचों की डिमांड भी बहुत रहती है, लेकिन मार्च में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के स्कूल बंद होने के बाद से कोचों को रोजगार के लाले पड़ गए हैं। हाल यह है कि जो स्कूल उन्हें तवज्जो देते थे, उन्होंने संकट के वक्त सबको बिसरा दिया है। स्केटिंग कोच प्रियंक शर्मा का कहना है कि पिछले पांच माह से कोई रोजगार नहीं है। जिन स्कूलों में हाथोंहाथ लिया जाता था वो पूछ भी नहीं रहे हैं। इस समय कोई और रोजगार भी नहीं मिल रहा है।

बेसबॉल कोच रविंद्र पाल सिंह मेहता का कहना है कि खेल विभाग में भी कैंप बंद होने के कारण संविदा पर प्रशिक्षक नहीं रखे जा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि प्रशिक्षकों के बारे में भी कोई योजना चलाए, जिससे उनकी आर्थिकी चलती रहे। फुटबॉल कोच दीपक कुमार का कहना है कि रोजगार के लिए प्रशिक्षक निजी स्कूलों में पार्ट टाइम जॉब करते हैं, लेकिन इस समय किसी के पास रोजगार नहीं है। 

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कैंप संचालन पर संशय बरकरार

इन प्रशिक्षकों को अभी राहत मिलती नजर नही आ रही है। वैसे तो केंद्र सरकार ने 21 सितंबर से खेलों के आयोजन की अनुमति दी है। लेकिन इसमें कैंप संचालित होते नजर नहीं आ रहें हैं। जानकारों का कहना है कि खेल आयोजन एक-दो घंटे में सुरक्षा के साथ निपटाएं जा सकते हैं। लेकिन कैंप 15 दिन से 45 दिन तक चलते हैं। ऐसे में इतनी लंबी अवधि में खिलाड़ियों को सुरक्षित रखना कठिन है। इसमें थोड़ी भी लापरवाही से कोरोना संक्रमण फैल सकता है। ऐसे में खेल विभाग भी कैम्पों के संचालन पर निर्णय नहीं ले पा रहा है। विभाग इसके लिए शासन के आदेश का इंतजार कर रहा है।

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