Move to Jagran APP

122 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा नक्षत्रों और ग्रहों का विशेष संयोग

ज्योतिषाचार्य आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया कि 122 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर नक्षत्रों और ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 10:44 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 04:09 PM (IST)
122 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा नक्षत्रों और ग्रहों का विशेष संयोग
122 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा नक्षत्रों और ग्रहों का विशेष संयोग

देहरादून, [जेएनएन]: गणेश चतुर्थी का उत्सव 12 सितंबर से शुरू हो रहा है। घर-घर गणपति बप्पा मेहमान बनकर अगले 10 दिनों तक विराजमान होंगे। उत्सव को लेकर जगह-जगह तैयारियां शुरू हो गई हैं। घरों, मंदिरों समेत सार्वजनिक स्थलों पर गणेश भगवान की मूर्तियों को विधि-विधान के साथ स्थापित किया जाएगा। दून में श्रद्धालु 12 और 13 सितंबर को मूर्ति स्थापना करेंगे।

loksabha election banner

ज्योतिषाचार्य आचार्य संतोष खंडूड़ी के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। बताया कि 122 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर नक्षत्रों और ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि लंबे समय बाद गणेश चतुर्थी का त्योहार बुधवार से शुरू हो रहा है, जोकि अत्यंत शुभकारी है। बताया कि चतुर्थी 12 सितंबर शाम 4:08 बजे से शुरू होकर 13 सिंतबर शाम 2:51 बजे तक रहेगी। 23 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा।

गणेश मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त: 

  • 12 सितंबर को शाम 4:53 से शाम 6:27 बजे तक, शाम 7:54 से रात्रि 10:47 बजे तक मूर्ति स्थापित कर सकते हैं।
  • 13 सितंबर को चौघड़िया के अनुसार सुबह छह बजे से सुबह 7:34 बजे तक, दोपहर 10:40 से दोपहर 2:51 बजे तक  मूर्ति स्थापना करें।

गणेश चतुर्थी का महत्व 

चतुर्थी का संबंध चंद्रमा से है और चंद्रमा का मन से। गणेश चतुर्थी मनाने के पीछे धार्मिक प्रसंग जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार इस दिन गणेश भगवान का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। एक दिन जब पार्वती माता मानसरोवर में स्नान करने गईं थीं, तो बाल गणेश को उन्होंने पहरा देने को कहा था। इतने में भगवान शिव वहां पहुंच गए, लेकिन गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। जिस पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर त्रिशुल से गणेश का सिर काट दिया। इसके बाद पार्वती माता के क्रोधित होने पर गणेश को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया गया। तभी से उन्हें गजानन कहकर पुकारा जाने लगा।

हाथों के हुनर से कर रहे गुजारा

गणेश महोत्सव को लेकर बाजार की रौनक भी देखते ही बन रही है। रंग-बिरंगी छोटे-बड़े आकार की मूर्तियां बिक रही हैं। मूर्तिकार बप्पा की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। कुछ लोगों के लिए यह उत्सव का मौका है। वहीं कुछ कलाकार बप्पा की मूर्तियां बनाकर अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं।

दून में बिंदाल पुल के पास कई कलाकारों ने गणेश महोत्सव के लिए मूर्तियां बेचने के लिए सजाई हुई हैं। मूर्तिकार संतराम और उनकी पत्नी रेखा दोनों मिलकर मूर्तियां बनाते हैं। मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले संतराम ने बताया कि वह पिछले 25 सालों से मूर्तियां बना रहे हैं। यह उनका पुश्तैनी काम है। उनकी दो बेटियां लक्ष्मी(12) और कविता (तीन वर्ष)हैं। बेटी लक्ष्मी भी मूर्तियों में रंग भरने का काम कर माता-पिता का हाथ बंटाती है। वहीं कलाकार बंशी लाल ने बताया कि इन दिनों मूर्तियां बिकने से थोड़ी कमाई हो जाती है। आर्थिक तंगी के चलते उनके पास रहने की स्थायी जगह नहीं है। इसलिए वह अपने बच्चों को पढ़ा भी नहीं पा रहे हैं। बताया कि उनके पास 100 रुपये से लेकर पांच हजार तक की मूर्तियां हैं। मूर्ति बनाने के लिए वह खड़िया मिट्टी का प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि मूर्ति बनाने में जितनी मेहनत करते हैं, कभी-कभी उसे खरीदने वाले उचित कीमत नहीं देते।

यह भी पढ़ें: बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि धरोहर के रूप में संरक्षित

यह भी पढ़ें: इस शख्‍स ने चौलाई के लड्डू को बदरीनाथ में दी खास पहचान

यह भी पढ़ें: केदारनाथ में रातभर चला अन्नकूट मेला, नए अनाज से किया बाबा का श्रृंगार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.