गंगोत्री में स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर को सरकार की झंडी
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत गंगोत्री नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर की स्थापना को सरकार ने हरी झंडी दे दी है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की 'सिक्योर हिमालय' परियोजना के तहत गंगोत्री नेशनल पार्क में 'स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर' की स्थापना को सरकार ने हरी झंडी दे दी है। स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ) के संरक्षण के मामले में यह देश का ऐसा पहला सेंटर होगा। शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के समक्ष इस सेंटर से संबंधित प्रोजेक्ट का प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्यमंत्री ने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के निर्देश प्रमुख सचिव वन को दिए। साथ ही कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की गणना कराई जाए।
गंगोत्री नेशनल पार्क के प्रवेश द्वार भैरोंघाटी व लंकापुल के बीच 5.30 करोड़ की लागत वाले प्रस्तावित स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर का डिजाइन नीदरलैंड के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट प्रो.ऐने फीनिस्त्रा ने तैयार किया है। शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में फीनिस्त्रा ने ही मुख्यमंत्री और वन मंत्री के समक्ष इसका प्रस्तुतीकरण दिया। सेंटर में हिम तेंदुओं के संरक्षण-संवर्द्धन के मद्देनजर लर्निंग ब्लॉक की व्यवस्था होगी। सैलानियों के लिए सेंटर के ठीक पीछे देवदार ट्रेल बनेगी, जिसमें 30 मिनट की सैर होगी। पास ही गर्तागली ट्रेल भी आकर्षण का केंद्र रहेगी, जिसकी सैर दो घंटे की होगी। कंजर्वेशन सेंटर के संचालन का जिम्मा स्थानीय गांवों की फेडरेशन को दिया जाएगा।
इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में हिम तेंदुओं की गणना कराने के निर्देश देते हुए कहा कि इनके संरक्षण और संख्या में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। जिन क्षेत्रों में यह देखे गए हैं, वहां स्थानीय लोगों और सैन्य बलों के सहयोग से ऐसे इलाके चिह्नित किए जाएं। उन्होंने कहा कि हिम तेंदुओं व अन्य वन्यजीवों के संरक्षण से शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही विलुप्त होती वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण को ठोस प्रयासों की जरूरत बताई। इस मौके पर प्रमुख सचिव वन आनंद बर्द्धन समेत वन विभाग के आला अधिकारी मौजूद थे।
उत्तराखंड में 86 हिम तेंदुए
प्रदेश में अभी तक हिम तेंदुओं की गणना नहीं हुई है, लेकिन उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यह ज्यादा संख्या में देखे गए हैं। प्रस्तुतीकरण के दरम्यान बताया गया कि विभिन्न शोधों के आधार पर राज्य में 86 हिम तेंदुए होने का अनुमान है।