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उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की गणना से पहले चिह्नित होंगे उनके स्थल, जानिए क्या है हिम तेंदुआ

सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत मार्च से प्रस्तावित गणना से पहले स्थानीय ग्रामीणों की मदद से हिम तेंदुआ संभावित स्थल चिह्नित किए जाएंगे।

By BhanuEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 08:34 AM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 08:34 AM (IST)
उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की गणना से पहले चिह्नित होंगे उनके स्थल, जानिए क्या है हिम तेंदुआ
उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की गणना से पहले चिह्नित होंगे उनके स्थल, जानिए क्या है हिम तेंदुआ

देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पहली बार होने जा रही हिम तेंदुओं की गणना के लिए वन महकमे ने कमर कस ली है। सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत मार्च से प्रस्तावित गणना से पहले स्थानीय ग्रामीणों की मदद से हिम तेंदुआ संभावित स्थल चिह्नित किए जाएंगे। इस सिलसिले में गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविंद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य के अंतर्गत आने वाले और इन संरक्षित क्षेत्रों की सीमा से सटे गांवों के निवासियों के साथ बैठकों का क्रम शुरू किया जाएगा।

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उच्च हिमालयी क्षेत्र में दुर्लभ हिम तेंदुओं की मौजूदगी हमेशा से हर किसी की उत्सुकता के केंद्र में रही है। उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यहां भी अच्छी-खासी तादाद में हिम तेंदुओं की मौजूदगी का अनुमान है। गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक के क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर लगे कैमरा ट्रैप में कैद होने वाली हिम तेंदुओं की तस्वीरें इसकी तस्दीक करती हैं। 

बावजूद इसके अभी इस रहस्य से पर्दा उठना बाकी है कि आखिर यहां हिम तेंदुओं की वास्तविक संख्या है कितनी है। इसी के दृष्टिगत सिक्योर हिमालय परियोजना के अंतर्गत राज्य में पहली मर्तबा हिम तेंदुओं की गणना कराई जा रही है, जो गंगोत्री से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक के उच्च हिमालयी क्षेत्र में चलेगी।

राज्य में सिक्योर हिमालय परियोजना के नोडल अधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षक आरके मिश्र के अनुसार सर्दी खत्म होने के बाद मार्च से गणना कार्य प्रस्तावित है। इसमें आइटीबीपी, एसएसबी के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों की मदद ली जाएगी। इससे पहले गोविंद वन्यजीव विहार और अस्कोट अभ्यारण्य के अंतर्गत 60 गांवों के अलावा इन सेंचुरियों के साथ ही गंगोत्री नेशनल पार्क से सटे गांवों के निवासियों के साथ बैठकें होंगी।

मिश्र ने बताया कि ग्रामीणों के साथ होने वाली बैठकों में वे स्थल चिह्नित किए जाएंगे, जहां अक्सर हिम तेंदुए नजर आते हैं। इसके अलावा आइटीबीपी व एसएसबी के साथ ही इसी परिप्रेक्ष्य में बैठकें होंगी। इससे हिम तेंदुआ संभावित स्थल चिह्नित होने से गणना कार्य में मदद मिलेगी। उन्होंने जानकारी दी कि जल्द ही गणना कार्य के मद्देनजर कार्मिकों के प्रशिक्षण का क्रम भी शुरू किया जाएगा। कोशिश ये है कि हिम तेंदुओं की गणना का कार्य दो साल के भीतर पूरा करा लिया जाए।

क्या है हिम तेंदुआ 

हिम तेन्दुआ एक विडाल प्रजाति है जो मध्य एशिया में रहती है। हिम तेन्दुए के नाम में 'तेन्दुआ' है, लेकिन यह एक छोटे तेंदुए के समान दिखता है और इनमें आपसी संबंध नहीं है।

रंगरूप और आकार 

हिम तेंदुए करीबज 1.4 मीटर लम्बे होते हैं और इनकी पूंछ करीब 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है। इनका भार 75 किलो तक हो सकता है। इनकी खाल पर सलेटी और सफेद फर होता है और गहरे धब्बे होते हैं। इनकी पूंछ में धारियां बनीं होती हैं। इनका फर बहुत लम्बा और मोटा होता है जो इन्हे ऊंचे और ठंडे स्थानो पर भीषण सर्दी से बचा कर रखता है। इन तेंदुओं के पैर भी बड़े और ऊनी होते हैं। ताकि हिम में चलना सहज हो सके।

15 मीटर की ऊंचाई तक उछलने में सक्षम 

ये बिल्ली-परिवार की एकमात्र प्रजाति है जो दहाड़ नहीं सकती है, लेकिन घुरघुरा (बिल्ली के जैसी आवाज निकालना) सकती है।

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हिम तेंदुओं का जीवन

हिम तेंदुएं अधिकांशतः रात्री में सक्रिय होते हैं। ये अकेले रहने वाले जीव हैं। लगभग 90 से 100 दिनों के गर्भाधान के बाद मादा 2 से 3 शावकों को जन्म देती है। यह बड़ी आकार की बिल्लियाँ है और लोग इनका शिकार इनके फर के लिए करते हैं।

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