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उत्‍तराखंड: छोटी कंपनियां भी दे सकेंगी आनलाइन टैक्सी सेवाएं, ओला और उबर की भांति ही कर सकेंगे संचालित

प्रदेश के परिवहन उद्यमी भी शीघ्र ही ओला व उबर की भांति ही अपनी आनलाइन टैक्सी सेवाएं संचालित कर सकेंगे। इसके लिए परिवहन विभाग द्वारा आनलाइन टैक्सी सेवाओं के लिए बनाई गई नियमावली में परिवर्तन की तैयारी चल रही है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 31 Jul 2022 12:12 PM (IST)Updated: Sun, 31 Jul 2022 12:12 PM (IST)
प्रदेश के परिवहन उद्यमी भी शीघ्र ही ओला व उबर की भांति ही अपनी आनलाइन टैक्सी सेवाएं संचालित कर सकेंगे

विकास गुसाईं, देहरादून: प्रदेश के परिवहन उद्यमी भी शीघ्र ही ओला व उबर की भांति ही अपनी आनलाइन टैक्सी सेवाएं संचालित कर सकेंगे। इसके लिए उनके पास न्यूनतम 25 टैक्सी रखना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं है कि टैक्सी उनकी अपनी होनी चाहिए। वे दूसरी टैक्सियों व बसों को अपने साथ जोड़ सकते हैं।

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परिवहन मुख्यालय ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा

इसके लिए परिवहन विभाग द्वारा आनलाइन टैक्सी सेवाओं के लिए बनाई गई नियमावली में परिवर्तन की तैयारी चल रही है। परिवहन मुख्यालय ने इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। इसे वित्त की स्वीकृति मिल चुकी है। शीघ्र ही इस पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी।

ओला व उबर के साथ जुड़ सकेंगे टैक्सी संचालक

राज्य परिवहन प्राधिकरण ने हाल ही में ओला व उबर को प्रदेश में पंजीकरण कराने को स्वीकृति दी है। इसका अर्थ यह हुआ कि अब प्रदेश के टैक्सी संचालक ओला व उबर के साथ जुड़ सकेंगे। अभी तक वह ऐसा नहीं कर पा रहे थे। जो जुड़े हुए थे, उन पर समय-समय पर कार्रवाई की जा रही थी।

छोटी टैक्सी व बस कंपनियों के सामने खड़ी हो गई थी चुनौती

हाईकोर्ट के निर्णय के क्रम में विभाग ने ओला व उबर के संचालन को आन डिमांड कांट्रेक्ट कैरिज एग्रीगेटर (आइटी बेस्ड) रूल 2020 प्रख्यापित किया है। इसमें यह कहा गया है कि जो भी कंपनी इस नियमावली के पंजीकृत होगी, उसके पास न्यूनतम 250 वाहन होने चाहिए। उसे 10 लाख रुपये की प्रतिभूति राशि और एक लाख रुपये सालाना शुल्क देना होगी। इस नियमावली के प्रख्यापन के बाद छोटी टैक्सी व बस कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई। इसे देखते हुए परिवहन विभाग ने अब छोटे टैक्सी कंपनियों को भी आनलाइन सुविधा के लिए पंजीकरण करने की सुविधा देने का निर्णय लिया। इसके लिए नियमावली में बदलाव किया जा रहा है।

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कंपनियों को इस तरह रखा गया श्रेणीवार

इसके तहत अब न्यूनतम 25 टैक्सी अथवा 10 बस वाले भी आनलाइन सेवाएं दे सकेंगे। इन्हें चार वर्गों में बांटा जाएगा। इसके तहत 25 से 50 टैक्सी को एक श्रेणी में, 50 से 100 टैक्सी वालों को दूसरी श्रेणी में, 100 से 500 वालों को तीसरी श्रेणी और 500 से 1000 वाहन रखने वाली कंपनियों को चौथी श्रेणी में रखा गया है। इन्हीं श्रेणी के अनुसार इनकी प्रतिभूति राशि और शुल्क तय गया गया है। प्रतिभूति राशि 50 हजार रुपये से लेकर दस लाख रुपये और सालाना शुल्क दस हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक रखी गई है। नियमावली में परिवर्तन होने के बाद छोटी कंपनियां भी आनलाइन टैक्सी सेवा के क्षेत्र में उतर सकेंगी।

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