सरकारी योजनाओं में बैंकों से कर्ज लेकर न चुकाने वाले ज्यादा
योजनाओं में लाभर्थियों को ऋण तो आवंटित किया जा रहा है। लेकिन वक्त पर इसकी वापसी न होने से बैंकर्स के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं।
By Edited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 01:33 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में लाभर्थियों को ऋण तो आवंटित किया जा रहा है, मगर वक्त पर इसकी वापसी न होने से बैंकर्स के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की ताजा रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है। आंकड़ों को देखें तो राज्य में 10 प्रमुख सरकारी योजनाओं में नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) 8.45 फीसद हो गया है। इनमें सर्वाधिक 34.88 फीसद एनपीए वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत दिए गए ऋणों पर है।
बैंकर्स समिति को हुई 68वीं बैठक में इस पर गहरी चिंता जताई गई। बैंकों ने यह सुझाव दिया कि वितरित ऋणों की वसूली सुनिश्चित कराने में संबंधित विभाग भी सहयोग करें। जिस पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभागों को इस बावत निर्देश दिए। सुभाष रोड स्थित होटल में आयोजित बैठक में राज्य में ऋण जमा अनुपात के बेंचमार्क 60 प्रतिशत के करीब रहने पर पीठ भी थपथपाई गई।
साथ ही यह बताया गया कि चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही की समाप्ति पर वार्षिक ऋण योजना 20025.54 करोड़ के सापेक्ष 12071.91 करोड़ की उपलब्धि दर्ज की गई है। कृषि क्षेत्र में तृतीय तिमाही में 4996 करोड़ व एमएसएमई क्षेत्र के अंतर्गत 5035.36 करोड़ ऋण वितरित किया गया। मुद्रा योजना के तहत 31 दिसम्बर तक 1448.62 करोड़ के ऋण स्वीकृत/वितरित किए गए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 53,430 किसानों को 31.18 करोड़ का क्लेम वितरित किया गया।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत क्रमश: 13,54,483 एवं 3,84,584 व्यक्तियों को पंजीकृत किया गया। जबकि अटल पेंशन योजना में 1,22,389 लाथार्थियों को आच्छादित किया गया है। इस दौरान प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास एवं एमएसएमई मनीषा पंवार, सहकारिता एवं पशुपालन सचिव मीनाक्षी सुंदरम, भारतीय स्टेट बैंक के महाप्रबंधक अजीत सिंह ठाकुर आदि उपस्थित रहे।
ऋण वितरण में बरतें अतिरिक्त सावधानी
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बैंकों को ताकीद की है कि वह ऋण वितरण में अतिरिक्त सावधानी बरतें। किसी भी व्यक्ति को ऋण देने से पहले हर पहलू की पड़ताल कर लें। उन्होंने जनपद हरिद्वार का उदाहरण दिया। कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के तहत अपात्रों को ऋण देने के मामले में कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन डीएम हरिद्वार, सीडीओ, जिला पर्यटन विकास अधिकारी समेत सात अफसरों पर मुकदमा दर्ज किया है।
हरिद्वार निवासी व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि ऋण नियमानुसार नहीं दिया गया है और अपात्र लोगों को ऋण दिया गया है। ऐसे में आपराधिक मामला बन गया। इस तरह की चूक किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है। प्राइवेट बैंक नहीं दिखा रहे दिलचस्पी प्राइवेट बैंक सरकारी योजनाओं को लेकर बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में यह बात सामने आई।
बताया गया कि ऋण वितरण कुछ चुनिंदा बैंकों तक ही सीमित होकर रह गया है। अधिकांश प्राइवेट बैंकों की सहभागिता शून्य है। ऐसे में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि इन बैंकों की अलग से बैठक आयोजित की जाए। उनके लक्ष्य निर्धारित किए जाएं और समय-समय पर इसकी समीक्षा भी करें।
कृषि, बागवानी, पशुपालन और मछली पालन के लिए एक कार्ड केंद्र सरकार ने बागवानी, पशुपालन और मछली पालन को भी कृषि क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मान लिया है। इनसे जुड़े लोगों को भी अब किसानों को मिलने वाली सभी सुविधाएं दी जाएंगी। ऐसे में सचिव पशुपालन मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि बागवानी, पशुपालन और मछली पालन को भी किसान क्रेडिट कार्ड में मर्ज किया जाए।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति कई तरह के कार्ड नहीं रख सकता। इसलिए कृषि, बागवानी, पशुपालन और मछली पालन के लिए एक ही कार्ड की सुविधा दी जानी चाहिए। पांच जिलों का ऋण जमा अनुपात 40 प्रतिशत से कम ऋण जमा अनुपात पर जहां एक तरफ पीठ थपथपाई जा रही है और तृतीय त्रैमास की समाप्ति पर यह 60 फीसद पहुंच गया है, प्रदेश के पांच जनपदों में ऋण जमा अनुपात 40 फीसद से भी कम है। पौड़ी में ऋण जमा अनुपात 24, अल्मोड़ा में 25, रुद्रप्रयाग में 25, बागेश्वर में 28 और टिहरी में 38 फीसद पर सिमट गया है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें