उत्तराखंड के छह युवक श्रीलंका में फंसे, जानिए वजह
उत्तराखंड के छह युवक श्रीलंका में फंसे हुए हैं। दरअसल, वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद श्रीलंका पुलिस ने सभी युवकों को गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल सभी युवक जमानत पर हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: एक माह के टूरिस्ट वीजा पर श्रीलंका गए उत्तराखंड के छह युवकों को वहां नौकरी करना भारी पड़ गया। वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद श्रीलंका पुलिस ने सभी युवकों को गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल सभी युवक जमानत पर रिहा किए गए हैं, लेकिन 29 जून को कोर्ट में उनकी पेशी है। युवकों के परिजनों ने भारत सरकार से युवकों की मदद कर उन्हें श्रीलंका से वापस लाने की गुहार लगाई है।
जानकारी के मुताबिक टिहरी गढ़वाल के पुरवाल गांव हिंदाव निवासी कुलदीप प्रसाद, सुभाष भट्ट निवासी भटवाड़ी रुद्रप्रयाग, मनोज सिंह निवासी विल लिस्टवाल्टा बंगार रुद्रप्रयाग, राम लाल निवासी सिरवारी बंगार रुद्रप्रयाग, सुंदर सिंह चौहान निवासी घुत्तू भिलंग टिहरी गढ़वाल व सोहन सिंह मेंगवाल निवासी विला गैठाणा बंगार रुद्रप्रयाग नौकरी के लिए श्रीलंका गए थे। उन्हें वहीं होटल में काम करने वाले एक परिचित रमेश धिरवान निवासी जखवाड़ी बंगार रुद्रप्रयाग ने वहां बुलाकर नौकरी का अश्वासन दिया था।
पैसे लेकर उसी ने उनका एक माह का टूरिस्ट वीजा बनवाया और टिकट भेजकर उन्हें श्रीलंका बुला लिया। बताया जा रहा है कि श्रीलंका पंहुचकर होटल मालिक ने सभी छह युवकों के पासपोर्ट अपने पास रख लिए और होटल में काम करवाने लगा। जब होटल मालिक ने उन्हें सैलरी नहीं दी तो युवकों ने अपना पासपोर्ट वापस मांगा, लेकिन होटल मालिक ने पासपोर्ट देने से भी इन्कार कर दिया।
इसी बीच युवकों ने किसी तरह श्रीलंका में भारतीय दूतावास से संपर्क किया। जिसके बाद 28 मार्च को दूतावास से कुछ लोग गए और मालिक से पासपोर्ट ले लिए। लेकिन, अगले ही दिन पुलिस ने सभी युवकों को गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया। पीडि़तों के मुताबिक इसके बाद उन्हें दो अप्रैल को कोर्ट में पेश किया गया।
26 अप्रैल को भारतीय दूतावास से कुछ लोग वकील के साथ कोर्ट आए और सभी युवकों की जमानत करा दी। इसके बाद एंबेसी वालों ने भी उन्हें अपना इंतजाम खुद करने के लिए कहा। परिजनों के मुताबिक फिलहाल वह श्रीलंका में किसी परिचित के यहां रह रहे हैं। 29 जून को उनकी कोर्ट में पेशी है, लेकिन अब उनके पास पैसे भी नहीं बचे हैं। युवकों ने परिजनों को अपनी पीड़ा बताई तो परिजनों ने भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
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