पूर्व मंत्री सजवाण निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव,आज करेंगे नामांकन
कांग्रेस की ओर से ऋषिकेश विधानसभा सीट से जयेंद्र रमोला को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया है। उन्हें सिबल भी आवंटित कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: कांग्रेस की ओर से ऋषिकेश विधानसभा सीट से जयेंद्र रमोला को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया है। उन्हें सिबल भी आवंटित कर दिया गया है। जिसके बाद असंतुष्ट खेमे में टिकट परिवर्तन की उम्मीद अब समाप्त हो गई हैं। इस सीट से प्रमुख दावेदार रहे पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। वह शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
ऋषिकेश से जयेंद्र रमोला को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण और दो बार के प्रत्याशी रहे राजपाल खरोला एक मंच पर आ गए थे। दो दिन पूर्व श्यामपुर के एक वेडिग प्वाइंट में समर्थकों की भीड़ में सभी ने इसका विरोध किया था। उसी रात पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के देहरादून स्थित आवास पर उन्होंने टिकट परिवर्तन की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था।
अब बीती बुधवार को कांग्रेस की ओर से संशोधित सूची जारी कर दी गई है। जिसमें ऋषिकेश सीट से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। बुधवार को अधिकृत प्रत्याशी जयेंद्र रमोला को पार्टी का सिबल भी जारी कर दिया गया है। रमोला शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल कराएंगे। अब असंतुष्ट खेमे में टिकट परिवर्तन की कोई उम्मीद नहीं बची है।
इन सबके बीच क्षेत्र के पूर्व विधायक रहे शूरवीर सिंह सजवाण ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान है। इस संबंध में उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर अपना एक पोस्टर जारी करते हुए बुधवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करने की घोषणा की है। इस पोस्टर में उनके साथ राजपाल खरोला का फोटो भी है।
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राज्य गठन के बाद पहले विधायक थे सजवाण
पृथक राज्य उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद वर्ष 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शूरवीर सिंह सजवाण ने भाजपा प्रत्याशी संदीप गुप्ता को 863 मतों से शिकस्त दी थी। ऋषिकेश सीट से पहले विधायक बने शूरवीर सिंह सजवाण प्रदेश सरकार में सिचाई मंत्री भी रहे।
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बगावत नहीं हक की लड़ाई
पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण ने कहा कि संगठन में बैठे कुछ नेताओं ने शीर्ष नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को गुमराह किया है। सर्वे रिपोर्ट और पैनल में वह सबसे आगे थे। चुनाव संचालन समिति से जुड़े प्रमुख नेताओं ने उन्हें आश्वस्त कर दिया था कि उनका ही टिकट फाइनल है। जब सूची जारी हुई तो यह चौंकाने वाली थी। हमने संगठन के फोरम में अनुशासित तरीके से अपनी बात को रखने की कोशिश की मगर, कांग्रेस संगठन में नगर और ग्रामीण क्षेत्र के प्रमुख पदाधिकारियों की बात को अनसुना किया गया है। वह कोई बगावत नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने और समर्पित कार्यकत्र्ताओं के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।