Uttarakhand Power Corporation: ऊर्जा निगम में स्टाफ की कमी, उपभोक्ताओं की बढ़ी मुसीबतें
विद्युत लाइनों का मेंटनेंस हो या फिर उपभोक्ता से जुड़ा कोई काम। यूपीसीएल में लेटलतीफी आम बात है। इस पर सचिव ऊर्जा राधिका झा भी नाराजगी जता चुकी हैं।
देहरादून, जेएनएन। विद्युत लाइनों का मेंटनेंस हो या फिर उपभोक्ता से जुड़ा कोई काम। यूपीसीएल में लेटलतीफी आम बात है। इस पर सचिव ऊर्जा राधिका झा भी नाराजगी जता चुकी हैं, हालांकि उनके सख्त तेवर अख्तियार करने के बाद स्थिति में थोड़ा सुधार तो हुआ है, लेकिन मानव संसाधन की कमी से जूझ रहे यूपीसीएल में मुश्किलें आसानी से खत्म होने वाली नहीं हैं।
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से विद्युत उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सेवाओं के लिए समयसीमा निर्धारित है। यही वजह है कि मानसून सीजन शुरू होने से पहले लापिंग-चापिंग जैसा छोटा काम भी यूपीसीएल समय पूरा नहीं कर सका। प्रेमनगर में रविवार को तारों पर लटके पेड़ों की छंटाई के लिए चार घंटे का शटडाउन लिया गया। इसके अलावा खराब मीटर बदलना हो या नए कनेक्शन देने या फिर उपभोक्ताओं की शिकायतों का समयबद्ध तरीके निस्तारण, इन सब में कहीं न कहीं देरी की बात सामने आ रही है। जानकर हैरानी होगी कि राज्य में एक-एक जेई के पास अपने क्षेत्र के अलावा तीन से चार अन्य क्षेत्रों का भी प्रभार है।
यूपीसीएल का सेवा चार्टर
- आवेदन पत्र स्वीकृत होने के 30 दिन के भीतर नए विद्युत कनेक्शन जारी करना होता है।
- उपभोक्ताओं के विद्युत भार को कम करने या अधिक करने के आवेदन का निस्तारण 30 दिन के भीतर करना होता है।
- ट्रांसफार्मर से फ्यूज उड़ने या लाइन ट्रिप होने पर शहरी क्षेत्र में चार और ग्रामीण क्षेत्र में छह घंटे के भीतर ठीक करना होता है।
- विद्युत पोल से कनेक्शन टूटने पर शहरी क्षेत्र में छह घंटे ग्रामीण क्षेत्र में 12 घंटे के भीतर जोड़ना होता है।
- ट्रांसफार्मर के जल जाने की स्थिति में 48 घंटे के भीतर नया ट्रांसफार्मर लगाना होता है, लेकिन 8 घंटे के भीतर मोबाइल ट्रांसफार्मर लगाकर आपूर्ति बहाल करनी होती है।
- लो वोल्टेज की शिकायत आने पर चार घंटे के भीतर उसका निस्तारण करना होता है।
- विद्युत मीटर जलने की स्थिति में छह घंटे के भीतर मीटर को बाईपास कर आपूर्ति बहाल करने के साथ तीन दिन के भीतर मीटर बदलना अनिवार्य होता है।
यूपीसीएल में कर्मचारियों की स्थिति
ग्रुप, नियतन, कार्यरत, रिक्त
ए, 191, 145, 46
बी, 380, 233, 147
सी, 5212, 1798, 3414
डी, 2796, 450, 2346
योग, 8579, 2626, 5953
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उपनल के सहारे चल रही गाड़ी
ग्रुप सी और डी के रिक्त 5760 पदों में लाइनमैन, मीटर रीडर से लेकर वह ऑपरेशनल स्टाफ हैं, जिनके बिना एक दिन भी ऊर्जा निगम की गाड़ी नहीं चल सकती है। ऐसे में निगम ने 3836 कर्मचारियों को आउटसोर्स के जरिये लिया है। इसमें 2719 उपनल से लगे हैं, जबकि स्वयं सहायता समूहों से 1195 और पीआरडी 23 कर्मचारी निगम में कार्यरत हैं। वहीं, यूपीसीएल के प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि निगम में कर्मचारियों की कमी तो है, लेकिन किसी भी सूरत में इसका असर कामकाज पर नहीं पड़ने दिया जा रहा है। उपलब्ध संसाधनों में निगम बेहतर तरीके से कार्य कर रहा है।
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