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शूटरों को भी दिया गुलदार ने चकमा, नहीं फटक रहा मचान के पास

आदमखोर गुलदार को पकड़ने के लिए ऋषिकेश पहुंची शूटरों की टीम को अभीतक सफलता हाथ नहीं लगी है। गुलदार मचान के पास तक नहीं फटक रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 05:12 PM (IST)
शूटरों को भी दिया गुलदार ने चकमा, नहीं फटक रहा मचान के पास
शूटरों को भी दिया गुलदार ने चकमा, नहीं फटक रहा मचान के पास

रायवाला, देहरादून [जेएनएन]: राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे रिहायशी क्षेत्र में आदमखोर गुलदार आतंक का पर्याय बना हुआ है। गुलदार की तलाश में जुटी शूटरों की टीम को तीसरे दिन भी निराशा हाथ लगी। कहने को 30 जगहों पर कैमरा ट्रैप लगे हैं और चार टीमें तैनात हैं, लेकिन आदमखोर की पहचान कर उसे शूट करना पार्क प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है, ऐसे में आसपास के रिहायशी क्षेत्रों में खौफ बरकरार है।

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बुधवार को शूटरों टीम खांड गांव के पास बने मचान पर मोर्चा संभाले रही। इससे पहले मंगलवार को भी टीम पूरी रात गुलदार के इंतजार में रही, लेकिन गुलदार कहीं नजर नहीं आया। दरअसल, पार्क अधिकारियों ने गुलदार को घेरने के लिए चार विशेष टीमें तैनात की हुई हैं। खांड गांव में गुलदार के मूवमेंट वाले स्थान के आसपास मचान बनाए गए हैं। जहां शूटर हर वक्त मौजूद हैं। मचान के पास ही डमी इंसान भी रखे गए हैं, ताकि गुलदार इनके झांसे में आ सके। लेकिन अभी तक पार्क प्रशासन के तमाम प्रयास विफल साबित हुए हैं।

पहले भी रहे नाकाम

इससे पहले 17 मई 2017 को सत्यनारायण के पास वन दारोगा आनंद सिंह को गुलदार ने निवाला बनाया, तब भी पार्क प्रशासन ने आदमखोर को मारने के आदेश दिए थे। गुलदार की तलाश में वन कर्मियों की प्रशिक्षित टीम ने तीन महीने तक जंगल में मोर्चा बंदी की। नेपाली फार्म के पास जंगल में मचान बनाया गया। हाथी सवार टीमें भी जुटी रहीं, लेकिन गुलदार हाथ नहीं आया।

पकड़े गए नौ गुलदार

आदमखोर के चक्कर में अब तक नौ गुलदार पकड़े गए, लेकिन उनमें से कोई भी आदमखोर नहीं निकला। बीती एक फरवरी को वन विश्राम भवन मोतीचूर के पास दो गुलदारों को ट्रेंकुलाइज कर यहां से शिफ्ट किया गया, लेकिन गुलदार का आतंक कम नहीं हो सका। ऐसे में पार्क अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।

सीधे नहीं मार सकते गुलदार

रायवाला क्षेत्र कोर जोन होने की वजह से यहां आदमखोर गुलदार को सीधे मारने के आदेश भी नहीं दिए जा सकते। उसे ट्रेंकुलाइज कर यह तस्दीक करना जरूरी है कि वह आदमखोर है भी या नहीं। यह एक कठिन प्रक्रिया है। यही वजह है कि पार्क प्रशासन आदमखोर गुलदार को मारने से हाथ खड़े कर देता है।

वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही कई स्वयं सेवी संस्थाएं भी पार्क कानून का हवाला देकर गुलदार को मारने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर देती हैं। प्रमुख वन संरक्षक जयराज के मुताबिक आदमखोर गुलदार की पहचान होने के बाद ही उसे मारा जाता है। इसके लिए सभी प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन 

इको विकास समिति के अध्यक्ष राजेश जुगलान ने समिति की ओर से विधान सभा अध्यक्ष को ज्ञापन दिया। जिसमें कोर जोन की वजह से आ रही दिक्कतों के बारे में बताया गया। ज्ञापन में कोर जोन की बाध्यता समाप्त करने व पार्क क्षेत्र का दोबारा से व्यवहारिक सर्वे कराने की मांग की गई है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है।

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