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पर्वतीय व पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बने अलग मंत्रालय

राज्य ब्यूरो, देहरादून पहाड़ जैसी परिस्थितियों से जूझ रहे उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी राज्यों की पी

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 03:00 AM (IST)
पर्वतीय व पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बने अलग मंत्रालय
पर्वतीय व पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बने अलग मंत्रालय

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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पहाड़ जैसी परिस्थितियों से जूझ रहे उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी राज्यों की पीड़ा को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में बयां किया। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि समान परिस्थितियों वाले पर्वतीय और पूर्वोत्तर राज्यों के चहुंमुखी विकास के मद्देनजर अलग से मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री रावत ने यह भी कहा कि यदि अलग मंत्रालय का गठन करना संभव न हो तो नीति आयोग में पर्वतीय प्रकोष्ठ अवश्य स्थापित किया जाना चाहिए। ऐसा करने से विषम भूगोल व परिस्थितियों वाले इन राज्यों की समस्याओं के निदान में मदद मिलेगी, क्योंकि इसकी स्थिति अन्य राज्यों से एकदम भिन्न हैं।

ग्रीन अकाउंटिंग प्रणाली

पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाले उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों को प्रोत्साहित करने पर भी मुख्यमंत्री ने जोर दिया। कहा कि इसके लिए देश में ग्रीन अकाउंटिंग प्रणाली अपनाई जाए। गौरतलब है कि पर्यावरण संरक्षण में 71 फीसद वन भूभाग वाला उत्तराखंड अहम भूमिका निभा रहा है। सालाना लगभग तीन लाख करोड़ की पर्यावरणीय सेवाएं राज्य दे रहा है। इसे देखते हुए उत्तराखंड ग्रीन बोनस अथवा इंसेटिव की मांग लगातार उठाई जा रही है।

बंद न हों जलविद्युत परियोजनाएं

मुख्यमंत्री ने राज्य की जलविद्युत परियोजनाओं का मसला भी बैठक में रखा। उन्होंने जलविद्युत को क्लीन ऊर्जा बताते हुए कहा कि स्वीकृत परियोजनाओं को बंद किया जाना राज्य के विकास के लिए उचित नहीं है। बता दें कि जल संसाधनों की प्रचुरता वाले उत्तराखंड में पूर्व में स्वीकृत कई जल विद्युत परियोजनाओं पर विभिन्न कारणों के चलते रोक लगा दी गई थी।

विस्थापन को मांगा वित्तीय सहयोग

आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने केंद्र से तकनीकी व वित्तीय मदद का अनुरोध भी किया। बता दें कि प्रदेश में आपदा प्रभावित गांवों की संख्या साढ़े चार सौ से ज्यादा है, जिन्हें विस्थापित करने की मुहिम आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण परवान नहीं चढ़ पा रही है।

25 लक्ष्यों पर मिशन मोड में काम

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में चल रहे विभिन्न कार्याें को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 2022 तक न्यू इंडिया के लिए राज्य में 25 महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर मिशन मोड में काम किया जा रहा है। इनमें किसानों की आय दोगुना करने, पलायन की रोकथाम, डिजिटल उत्तराखंड पर खास फोकस है। उन्होंने मुख्यमंत्री डैश बोर्ड, ई-आकलन पोर्टल, सेवा का अधिकार, मंडियों का ई-नाम से जुड़ाव, नदियों का पुनर्जीवन, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय पोषण मिशन आदि का उल्लेख भी किया।


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