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नहीं रहे वरिष्ठ रंगकर्मी व राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र भंडारी, कोरोना से थे संक्रमित

वरिष्ठ रंगकर्मी निर्देशक अभिनेता और राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र भंडारी का निधन हो गया। कोरोना संक्रमित पाए जाने पर बीते 28 अप्रैल को उन्हें टर्नर रोड स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया था जहां शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 08:02 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 08:02 PM (IST)
नहीं रहे वरिष्ठ रंगकर्मी व राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र भंडारी, कोरोना से थे संक्रमित
नहीं रहे वरिष्ठ रंगकर्मी व राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र भंडारी, कोरोना से थे संक्रमित।

जागरण संवाददाता, देहरादून। वरिष्ठ रंगकर्मी, निर्देशक, अभिनेता और राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र भंडारी का निधन हो गया। कोरोना संक्रमित पाए जाने पर बीते 28 अप्रैल को उन्हें टर्नर रोड स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से आंदोलनकारी संगठन और फिल्म से जुड़े लोग ने गहरा शोक जताते हुए श्रद्धांजलि दी।

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मूल रूप से पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक के ग्रामसभा कठुड निवासी सुरेंद्र भंडारी परिवार के साथ वर्तमान में डिफेंस कॉलोनी स्थित गोरखपुर में रहते थे। दून अस्पताल में टैक्नीशियन के पद कई वर्ष रहते हुए सेवा दी और 2018 में सेवानिवृत्त हुए। इसके अलावा उनका उत्तराखंड के रंगमंच में अतुलनीय योगदान रहा। नाटकों का मंचन, अभिनय, निर्देशन इन सब विधाओं में निपुण होने के चलते रंगकर्मी उन्हें देहरादून रंगमंच के सूत्रधार मानते थे। इसके अलावा गढ़वाली फ़िल्म 'कभी सुख कभी दुख' में अभिनय व 'मेरी प्यारी बोई' में निर्देशन किया। 

बेगम का तकिया, अंधा युग, डेथ इन इंस्टॉलमेंट, पहला विद्रोही, दुलारी बाई, कागज की कतरनें, जात न पूछो साधू की सहित कई नाटकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संभव रंगमंच परिवार के निर्देशक अभिषेक मैंदोला बताते हैं कि सुरेंद्र भंडारी का हर समय योगदान मिलता था। वह एक अच्छे मेकअप आर्टिस्ट भी थे और रंगमंच के कार्यक्रमों में सहयोग करने के साथ ही युवा रंगकर्मियों को भी प्रोत्साहित करते थे। एकलव्य थिएटर देहरादून के निर्देशक अखिलेश नारायण बताते हैं कि वह हर एक कार्यक्रम में आकर पीछे वाली सीट पर बैठकर देखते थे और कार्यक्रम संपन्न होने के बाद कलाकारों का हौसला अफजाई कर मार्गदर्शन देते थे। उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है। 

उत्तराखंड फिल्म टेलीविजन एंड रेडियो एसोसिएशन 'उफतारा' के अध्यक्ष प्रदीप भंडारी ने कहा कि सुरेन्द्र भंडारी के इस दुनिया से जाने से रंगमंच और फिल्म इंडस्ट्री को अपूरणीय क्षति हुई है। वहीं, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी व जिलाअध्यक्ष प्रदीप कुकरती ने कहा कि दर्शकों को नाटक के माध्यम से जीवन का सत्य बताने वाले आज खुद अपने जीवन के किरदार से हार गए। 

राज्य आंदोलन में भूमिका निभाने के साथ ही उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के हित में अपने ओर से हरसंभव प्रयास किए। श्रद्धांजलि देने वालों में ओमी उनियाल, रामलाल खंडूड़ी, रविंद्र जुगरान, पूरण सिंह लिंग्वाल, चन्द्र किरण राणा, राकेश नौटियाल, शिवानंद चमोली, मनमोहन नेगी, सतीश धोलाखंडी, पुष्पलता सिल्माणा, के अलावा फिल्म अभिनेता कांता प्रसाद, एसपी ममगाईं, मीना राणा, राजेंद्र चौहान, संगीता ढौंडियाल आदि ने श्रद्धांजलि दी।

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