आज एक फीसद रह गई पेट्रोल और डीजल में मिलावट
एडवांसेज इन एनालाइटिकल साइंसेज विषय पर इंडियन सोसाइटी ऑफ एनालाइटिकल साइंटिस्ट के सहयोग से तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है।
देहरादून, [जेएनएन]: भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) में पेट्रोल-डीजल की गुणवत्ता बढ़ाने की तकनीक पर तीन दिवसीय सम्मेलन आइसीएएएस-2018 शुरू हो गया। देश-विदेश के वैज्ञानिकों ने बताया कि किस-किस तकनीक से तेज उत्पादन से लेकर उसके वितरण स्तर तक की शुद्धता को पुख्ता किया जा सकता है।
एडवांसेज इन एनालाइटिकल साइंसेज (आइसीएएएस) विषय पर इंडियन सोसाइटी ऑफ एनालाइटिकल साइंटिस्ट (दिल्ली चैप्टर) के सहयोग से आयोजित सम्मेलन का शुभारंभ आइओसी (अनुसंधान एवं विकास) के निदेशक डॉ. एसएसवी रामकुमार ने किया। उन्होंने कहा कि एनालाइटिकल केमेस्ट्री के बल पर बेहतर श्रेणी के पेट्रोल-डीजल बनाने में मदद मिल रही है। उन्होंने शोध कार्यों को विभिन्न वैज्ञानिक संगठनों के बीच साझा किए जाने पर भी बल दिया।
वहीं, आइआइपी के निदेशक डॉ. अंजन रे ने कहा कि एनालाइटिकल कैमेस्ट्री के बल पर आज पेट्रोल-डीजल में खराब तत्वों की मात्रा महज एक फीसद नमूनों में सामने आ रही है। जबकि, पांच से दस साल पहले बड़ी संख्या में नमूने फेल हो जाते थे। यूएसके के एक्सओएस सेल्स के उपाध्यक्ष माइकल पाल्मर ने 'एडवांटेजेस ऑफ रियल टाइम प्रोसेस एनालाइसिस इन पेट्रोलियम इंडस्ट्री' विषय पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि आज यह संभव है कि तेल निर्माण के समय ही उसकी गुणवत्ता जांच ली जाए। इससे निर्माण के बाद खराब तेल का पता चलने पर उससे होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सका है। क्योंकि अब रियल टाइम में पता चल जाता है कि उत्पादित किए जा रहे तेल की गुणवत्ता कैसी है। सम्मेलन में विषय से संबंधित स्मारिका के विमोचन के साथ ही तमाम शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर सम्मेलन के संयोजक डॉ. राजकुमार सिंह, डॉ. जे क्रिस्टोफर आदि उपस्थित रहे।
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