खेती के लिए संस्था ने पहाड़ों में उठाया वर्षा जल संरक्षण का बीड़ा
जल संरक्षण के लिए वर्षा जल को सहेजना बेहद जरूरी है। प्राकृतिक स्रोतों के सूखने और घटते भूजल ने भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है। पीने का पानी हो या कृषि के लिए सिंचाई वर्षा जल हर जगह प्रयोग में लाया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: जल संरक्षण के लिए वर्षा जल को सहेजना बेहद जरूरी है। प्राकृतिक स्रोतों के सूखने और घटते भूजल ने भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है। पीने का पानी हो या कृषि के लिए सिंचाई, वर्षा जल हर जगह प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके लिए वर्षा जल पर आधारित खेती वाले क्षेत्रों विशेष प्रयास किए जाने की दरकार है। सीड इन हिमालयाज संस्था इसकी दिशा में कार्य कर रही है।
संस्था पिछले दस सालों से पर्वतीय क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए प्रयास करने के साथ ही स्थानीय निवासियों को भी प्रेरित कर रही है। संस्था पहाड़ों में बंजर होती खेती में सिंचाई के साधन जुटाने को वर्षा जल का सहारा ले रही है। केदारनाथ टिहरी में वर्षा जल संरक्षण को ग्रामीणों के साथ मिलकर प्रयास किए जा रहे हैं। पहाड़ों में 70 फीसद से अधिक खेत वर्षा जल पर निर्भर हैं। ऐसे में यहां खेतों में बड़े-बड़े खड््ड बनाकर बारिश का पानी जमा किया जाता है, जो आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाया जाता है। इसके साथ ही पहाड़ों पर औषधीय व सगंध पौधों के खेती का सफल प्रयोग किया गया है।
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यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये करीब दो लाख लीटर पानी संचय करने की व्यवस्था की जा चुकी है। साथ ही 250 से अधिक किसानों की आॢथकी सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। इस मुहिम में किसानों और ग्रामीणों का भी भरपूर प्रोत्साहन मिल रहा है। लगातार पहल से जुड़कर ग्रामीण जल संरक्षण का संदेश तो दे ही रहे हैं, खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है।
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