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उत्तराखंड में छात्रों की मदद को बने ब्रिज कोर्स पर लगा ग्रहण, जानिए वजह

कोरोना की दूसरी लहर ने शिक्षा विभाग की मिशन कोशिश को बड़ा झटका दिया है। सरकारी स्कूलों में अगली कक्षाओं में प्रोन्नत किए गए नौवीं तक छात्र-छात्राओं की मदद को विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद ब्रिज कोर्स बनाया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 05:40 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 05:40 PM (IST)
उत्तराखंड में छात्रों की मदद को बने ब्रिज कोर्स पर लगा ग्रहण, जानिए वजह
छात्रों की मदद को ब्रिज कोर्स पर लगा ग्रहण, पढ़िए पूरी खबर।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर ने शिक्षा विभाग की मिशन कोशिश को बड़ा झटका दिया है। सरकारी स्कूलों में अगली कक्षाओं में प्रोन्नत किए गए नौवीं तक छात्र-छात्राओं की मदद को विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद ब्रिज कोर्स बनाया, लेकिन यह शुरू होने को तरस गया है। गर्मियों की छुट्टियां 30 जून को खत्म होने के बाद शेष बचे समय में नियमित कोर्स और ब्रिज कोर्स साथ चलाने की चुनौती खड़ी हो गई है। 

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कोरोना की वजह से पिछले शैक्षिक सत्र में कक्षा एक से 12वीं तक ज्यादातर समय आनलाइन पढ़ाई पर निर्भरता रही। कक्षा एक से पांचवीं तक स्कूल एक भी दिन नहीं खुल पाए। छठी से नौवीं तक सरकारी स्कूल सत्र के आखिरी महीनों में खुले, लेकिन आफलाइन पढ़ाई का लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पाया। अप्रैल माह में नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत तो हुई, लेकिन कोरोना संकट ज्यादा गंभीर होने की वजह से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पटरी पर नहीं आ सकी। सबसे ज्यादा संकट उन छात्र-छात्राओं के सामने हैं, जिन्हें अगली कक्षाओं में प्रोन्नत किया गया है।

पिछले सत्र में ही विषय ज्ञान अधूरा रहने की वजह से अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय ने कक्षा एक से नौवीं तक छात्र-छात्राओं के लिए ब्रिज कोर्स तैयार किया है। इसका मकसद कक्षोन्नत छात्र-छात्राओं को पिछली कक्षाओं के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ते हुए नई कक्षाओं के पाठ्यक्रम की पढ़ाई को तैयार किया जाना था। सरकारी स्कूलों के कम संसाधनयुक्त बच्चों के लिए उठाए गए कदम को मिशन कोशिश का नाम दिया गया। ब्रिज कोर्स के माध्यम से पिछले सत्र में पढ़ाई की क्षतिपूर्ति की इस कोशिश पर कोरोना की दूसरी लहर ने ब्रेक लगा दिया है। 

नए सत्र के शुरुआती दो महीनों को ध्यान में रखकर की गई यह कोशिश स्कूल बंद होने की वजह से परवान नहीं चढ़ पाई। अब 30 जून तक ग्रीष्मावकाश घोषित किया जा चुका है। लिहाजा यह कार्य गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने के बाद ही प्रारंभ हो सकेगा। हालांकि तब सत्र के लिए शेष रहने वाले कम समय में ब्रिज कोर्स को साथ चलाने की चुनौती होगी। यही नहीं निदेशालय ने ब्रिज कोर्स के लिए अच्छी-खासी तैयारी की। राज्य की विभिन्न वर्चुअल लैब में 5319 शिक्षकों व अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। 

इसमें 2963 सहायक अध्यापक, 2277 प्रधानाध्यापक, पांच जिला और प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य, डायट के 49 प्रवक्ताओं, 25 खंड शिक्षाधिकारी और उप शिक्षाधिकारी शामिल हैं। इतनी मशक्कत के बाद अब ब्रिज कोर्स को लेकर शिक्षा विभाग को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है। अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक सीमा जौनसारी ने कहा कि नई परिस्थितियों के मुताबिक नए सिरे से ब्रिज कोर्स के लिए रणनीति तय की जाएगी।

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