गंगोत्री नेशनल पार्क से अंधी भरल निकालने को सर्च ऑपरेशन
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देश पर अब नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की मदद से केदारताल क्षेत्र में अज्ञात बीमारी के चलते अंधी हो रही भरल को निकालने के लिए टीम भेज दी गई है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: गंगोत्री नेशनल पार्क के सबसे दुर्गम केदारताल क्षेत्र में अज्ञात बीमारी के चलते अंधी हो रही भरल (ब्ल्यू शीप) को निकालने में हो रही छीछालेदरी के बाद अब महकमा गंभीर हुआ है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देश पर अब नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की मदद से इस क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के लिए टीम भेज दी गई है। यह टीम दुरूह परिस्थितियों वाले केदारताल इलाके का चप्पा-चप्पा छानेगी, ताकि बीमार भरल को निकालकर बाहर लाया जा सके। वहीं, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भरल आखिर किस बीमारी से पीडि़त हैं। शुक्र ये कि इस बीमारी के लक्षण पार्क के अन्य क्षेत्रों में नहीं पाए गए हैं।
गंगोत्री-केदारताल ट्रैक पर इस साल सितंबर भरलों के अज्ञात बीमारी से ग्रसित होने की बात सामने आई थी। इनकी आंखें लाल होने के साथ ही वे बेहद कमजोर भी हो गई थीं। इसके बाद पार्क प्रशासन की टीम ने वहां से एक ऐसी भरल को बरामद किया। तब पता चला कि केदारताल क्षेत्र में भरल में अंधा होने के लक्षण दिख रहे हैं। हालांकि, इस भरल की मौत हो गई थी, लेकिन नमूने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) बरेली भेज दिए गए। वहां से भी बीमारी के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं मिल पाई।
इस बीच केदारताल क्षेत्र में कार्य कर रहे भारतीय वन्यजीव संस्थान के दल ने वहां दो ऐसे भरल देखे जाने की जानकारी दी, जिनमें अंधा होने के लक्षण दिखाई दिए। पार्क प्रशासन ने दो दिसंबर को इन भरल को पकड़कर लाने के उद्देश्य से एक टीम केदारताल भेजी, लेकिन यह एक मृत भरल के सिर लेकर वापस लौट आई। हालांकि, इसके नमूने भी जांच के लिए आइवीआरआइ भेज दिए गए, लेकिन टीम के सर्च ऑपरेशन को लेकर सवाल उठने लगे।
बात देहरादून स्थित वन मुख्यालय पहुंची तो मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीवीएस खाती ने गंगोत्री पार्क प्रशासन को फिर से टीम सर्च ऑपरेशन के लिए भेजने के निर्देश दिए। गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक श्रवण कुमार के मुताबिक निम की तीन पर्वतारोहियों की अगुआई में शनिवार को एक टीम केदारताल क्षेत्र के लिए रवाना कर दी गई। 15 सदस्यीय यह दल पूरे केदारताल क्षेत्र में अंधी भरल ढूंढने के लिए सघन अभियान चलाएगा। कोशिश ये कि बीमार भरल को पकड़कर लाया जाए, ताकि इनका गहन परीक्षण के बाद बीमारी की रोकथाम को कदम उठाए जा सकें।
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