छात्रों को ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प नहीं दे रहे स्कूल
सरकार और शिक्षा विभाग ने छठी से ऊपर के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खोलने की छूट क्या दी निजी स्कूल मनमानी पर उतर आए। दून के कई नामी स्कूल सभी छात्रों पर अनिवार्य रूप से स्कूल आने का दबाव बना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सरकार और शिक्षा विभाग ने छठी से ऊपर के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खोलने की छूट क्या दी, निजी स्कूल मनमानी पर उतर आए। दून के कई नामी स्कूल सभी छात्रों पर अनिवार्य रूप से स्कूल आने का दबाव बना रहे हैं। जबकि, कुछ स्कूल छात्रों को ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प ही नहीं दे रहे हैं। जिससे उन्हें न चाहते हुए भी स्कूल जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। स्कूलों की इस मनमानी से अभिभावकों में रोष है। उनका कहना है कि सरकार एवं शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि छात्रों को स्कूल बुलाने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता।
निजी स्कूलों की मनमानी कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार मुद्दा छात्रों या अभिभावकों की मांगों का नहीं, बल्कि सरकार व शिक्षा विभाग के आदेशों की अवहेलना का है। दरअसल, शासन एवं शिक्षा विभाग की ओर से जारी एसओपी में यह स्पष्ट किया गया है कि छात्रों पर स्कूल आने का दबाव नहीं बनाया जाएगा। बल्कि, इसके लिए अभिभावकों की सहमति जरूरी होगी।
इसके अलावा जो छात्र ऑनलाइन पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई ही करवानी होगी। लेकिन, कुछ निजी स्कूल हैं कि छात्रों को स्कूल बुलाने पर तुले हैं। एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि क्रॉस रोड स्थित एक निजी स्कूल में उनके दो बच्चे नौवीं एवं 11वीं कक्षा में पढ़ाई करते हैं। सोमवार को दोनों बच्चों को परीक्षा के लिए अनिवार्य रूप से स्कूल भेजने का संदेश आ गया। अभिभावक ने कहा कि जब मासिक एवं अर्धवार्षिक परीक्षाएं ऑनलाइन हो सकती हैं तो वार्षिक परीक्षा में स्कूल छात्रों को अनिवार्य रूप से आने का दवाब कैसे बना सकता है। राजपुर रोड स्थित एक निजी स्कूल ने भी नौवीं एवं 11वीं के छात्रों को अनिवार्य रूप से स्कूल आकर परीक्षा देने को कहा है। परीक्षाओं के लिए स्कूल बुलाने पर स्कूलों का अपना मत है। उनका कहना है कि घर पर परीक्षाओं में छात्रों की निगरानी संभव नहीं है।
एसओपी का उल्लंघन कर रहे स्कूलों पर कार्रवाई हो
प्रिंसिपल्स प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप का कहना है कि स्कूलों को सरकार द्वारा जारी एसओपी का सख्ती से पालन करने को कहा गया है। अगर कोई भी स्कूल इसका पालन नहीं कर रहा तो शिक्षा विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए।
आशा रानी पैन्यूली (मुख्य शिक्षा अधिकारी) ने कहा कि शासन एवं शिक्षा निदेशालय की ओर से छात्रों को अभिभावकों की सहमति के बिना स्कूल न बुलाए जाने के स्पष्ट निर्देश हैं। अगर कोई स्कूल इसकी अवहेलना करता है तो अभिभावक उसकी लिखित शिकायत शिक्षा विभाग को दें। जिम्मेदार स्कूल पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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