Move to Jagran APP

उच्च शिक्षा और विद्यालयी शिक्षा के निर्माण कार्यों में करोड़ों की धांधली

शिक्षा के दोनों महकमों उच्च शिक्षा और विद्यालयी शिक्षा में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताएं ऑडिट में पकड़ी गई हैं।

By Edited By: Published: Wed, 30 May 2018 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 05:02 PM (IST)
उच्च शिक्षा और विद्यालयी शिक्षा के निर्माण कार्यों में करोड़ों की धांधली
उच्च शिक्षा और विद्यालयी शिक्षा के निर्माण कार्यों में करोड़ों की धांधली

देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: 'जहां-जहां पांव पड़े संतन के, वहां-वहां बंटाधार', ये कहावत उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम के बारे में सही साबित हो रही है। सिडकुल में निर्माण कार्यों में करोड़ों की वित्तीय अनियमितताओं का सामना कर रहे निगम ने उत्तराखंड के अन्य महकमों को भी बख्शा नहीं है। 

loksabha election banner

शिक्षा के दोनों महकमों उच्च शिक्षा और विद्यालयी शिक्षा में भी करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताएं ऑडिट में पकड़ी गई हैं। निगम की कार्यप्रणाली और निर्माण कार्यों के लिए बनने वाली डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में खामी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उच्च शिक्षा में एक पुनरीक्षित इस्टीमेट में 80.38 करोड़ की वृद्धि कर दी गई। योजनाओं के लिए मिली धनराशि से लंबे समय तक निर्माण नहीं कराया तो साथ ही ब्याज की धनराशि को अनियमित तरीके से खर्च किया गया। वापस नहीं किए 131 लाख निगम को पिछले पांच वर्षो में उच्च शिक्षा महकमे में आवंटित निर्माण कार्यो में कई खामियां पाई गई हैं। योजनाओं के लिए जारी धनराशि से मिले 131.04 लाख की राशि निगम ने वापस तक नहीं की। 

उत्तराखंड प्रोक्योरमेंट नियमों को ताक पर रखकर निगम ने 4.23 करोड़ की परियोजनाओं को क्रियान्वित किया। इससे राज्य को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। राजकीय महाविद्यालय नरेंद्रनगर में होमसाइंस ब्लॉक के लिए 126.53 लाख की राशि निगम ने प्राप्त तो की, लेकिन निर्माण नहीं कराया। वित्तीय नियमों के मुताबिक बगैर भूमि का हस्तांतरण किए निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाना चाहिए। चंपावत जिले के राजकीय महाविद्यालय अमोडी के भवन निर्माण को 4.93 करोड़ की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति दी गई थी। इसमें से मार्च, 2017 तक 50 लाख रुपये अवमुक्त किए गए। निर्माण निगम इकाई ने भूमि हस्तांतरण के बगैर ही 10.50 लाख की धनराशि खर्च कर दी। 

इसी तरह कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर के प्रेक्षागृह भवन में साज-सज्जा के कार्य पर बगैर निविदा के ही 89.88 लाख रुपये अनियमित खर्च कर डाले गए। सरकार की ओर से पर्याप्त धनराशि जारी की गई, लेकिन 29.14 करोड़ के विभिन्न निर्माण कार्यो में अपेक्षित भौतिक प्रगति नहीं हुई। वहीं 207.85 लाख के कार्य शुरू नहीं किए गए। 118 लाख ज्यादा लेकर भी काम छोड़ा अधूरा विद्यालयी शिक्षा विभाग में भी निर्माण निगम ने बिना ठेकेदार के निर्माण निगम पद्धति से कार्य कर कांट्रेक्टर प्रॉफिट के 345.15 लाख की राशि का समायोजन नहीं किया गया। 

शिक्षा निदेशालय के इस्टीमेट में पुनरीक्षण के चलते लागत में 3.09 करोड़ की वृद्धि कर दी गई। वहीं राजकीय इंटर कॉलेज कैंपटी में भवन निर्माण के लिए पुनरीक्षित इस्टीमेट की पूरी धनराशि 118.14 लाख मिलने के बाद भी कार्य पूरा नहीं कराया गया। कई योजनाओं पर स्वीकृत धनराशि से 30 लाख ज्यादा खर्च किए गए। ऑडिट में यह भी सामने आया कि 949.23 लाख की परियोजनाओं के क्रियान्वयन में 69.50 लाख के कार्यो में प्रोक्योरमेंट नियमों का पालन नहीं किया। यही नहीं, परियोजनाओं की अवशेष धनराशि 60.71 लाख को भी वापस करने की जरूरत महसूस नहीं की गई।

यह भी पढ़ें: जिला सहकारी बैंक में गबन का मामला, मैनेजर समेत तीन निलंबित

यह भी पढें: दस लाख लूटने की कोशिश, व्यापारी के बेटे पर झोंका फायर

यह भी पढ़ें: लूट के इरादे से बदमाशों ने दो कारों पर झोंके फायर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.