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नगर निगम ने टैक्स के सेल्फ असेसमेंट में पकड़ी करोड़ों की हेराफेरी, जानिए

देहरादून में नगर निगम ने वसायिक संपत्तियों से वसूले जा रहे भवन कर में करोड़ों रुपये की हेराफेरी पकड़ी गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 05:12 PM (IST)
नगर निगम ने टैक्स के सेल्फ असेसमेंट में पकड़ी करोड़ों की हेराफेरी, जानिए
नगर निगम ने टैक्स के सेल्फ असेसमेंट में पकड़ी करोड़ों की हेराफेरी, जानिए

देहरादून, जेएनएन। नगर निगम की ओर से व्यवसायिक संपत्तियों से वसूले जा रहे भवन कर में करोड़ों रुपये की हेराफेरी पकड़ी गई है। नगर निगम की ओर से शहर में आवासीय और व्यवसायिक भवनों से सेल्फ असेसमेंट प्रणाली के तहत भवन कर वसूला जाता है। इसके बाद नगर निगम को संपत्तियों के असेसमेंट की दोबारा जांच करनी होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से असेसमेंट जांच में लापरवाही बरती जा रही थी।

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जब मामला नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के संज्ञान में आया और उन्होंने शहर के 50 बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की जांच कराई तो असेसमेंट में काफी अनियमितताएं मिलीं। असेसमेंट में हेराफेरी करने वाले 15 प्रतिष्ठानों को चार गुना जुर्माने संग धनराशि जमा कराने के नोटिस भेजे गए हैं। कार्रवाई की जद में पैसेफिक डेवलपमेंट कारपोरेशन से लेकर होटल जेएसआर, सॉलिटेयर और सैफरान लीफ भी शामिल हैं। 

नगर निगम ने वर्ष 2014 में भवन कर की नई दरों के संग सेल्फ असेसमेंट प्रणाली की शुरुआत की थी। इसमें आवासीय भवन पर यह प्रणाली पूरी तरह लागू हो गई थी, मगर व्यवसायिक भवनों पर यह प्रणाली पूर्ण रूप से लागू नहीं हो सकी। दरअसल, शासन ने उस दौरान व्यवसायिक टैक्स की दरें बढ़ाने पर रोक लगाई हुई थी। ऐसे में नगर निगम ने सिर्फ उन्हीं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर कर लगाया, जो पहले से कर अदा कर रहे थे।

साल 2016 में शासन ने व्यवसायिक टैक्स की नई दरें लागू की तो निगम ने शहर के सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से टैक्स वसूली शुरू की गई। हालांकि, निगम कर्मचारियों ने कभी सेल्फ असेसमेंट में सत्यापन करने की जहमत नहीं उठाई। अब सत्यापन करने पर जिन प्रतिष्ठानों में गड़बड़ी मिली है, उन पर चार गुना जुर्माना, तो लगाया ही जा रहा है, साथ ही पिछले वर्षों का बकाया भी वसूल किया जाएगा। 

पहले भी पकड़ा जा चुका है घपला 

टैक्स असेसमेंट में वर्ष 2014 में भी बड़ा घपला पकड़ा जा चुका है। हालांकि, उसमें नगर निगम कर्मियों का ही हाथ था। मामले में पैसेफिक मॉल का एरिया कम दर्शाते हुए उस पर कम टैक्स आरोपित किया गया था। इसमें प्रतिवर्ष करीब सवा करोड़ रुपये की अनियमितता सामने आई थी। 

कर निरीक्षकों की भूमिका संदिग्ध 

सेल्फ टैक्स असेसमेंट प्रणाली में केवल प्रतिष्ठान स्वामी का ही दोष नहीं है बल्कि इसमें नगर निगम के कर निरीक्षकों पर भी उंगली उठना लाजिमी है। पिछले पांच साल से शहर में सेल्फ असेसमेंट प्रणाली लागू है लेकिन निगम के कर निरीक्षकों ने सत्यापन की जहमत क्यों नहीं उठाई। सूत्रों की मानें तो कई दफा ऐसे भी आरोप लगे, जब कर निरीक्षकों ने प्रतिष्ठान स्वामी से मिलीभगत कर खुद ही मामला रफादफा कर दिया। 

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इन संस्थानों को भेजे जुर्माने के नोटिस 

संस्थान, जुर्माना 

1: पैसेफिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, 48992031 रुपये 

2: होटल जेएसआर हरिद्वार रोड, 3378590 रुपये 

3: होटल सॉलिटेयर हरिद्वार रोड, 2858455 रुपये 

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4: होटल सेफरॉन लीफ जीएमएस रोड, 2756122 रुपये 

5: होटल सैारभ राजा रोड, 2238058 रुपये 

6: आशीर्वाद एसोसिएशन बल्लूपुर रोड, 1971306 रुपये 

7: जेकेजे रियलटेक प्रा. लिमिटेड हरिद्वार बाइपास, 1926577 रुपये 

8: सैयद फकीर अहमद (एसबीआइ रीजनल कार्यालय), 1800147 रुपये 

9: जगदीश चंद्र चौधरी (आकाश इंस्टीट्यूट राजपुर रोड), 1440388 रुपये 

10: होटल ग्रीन मैजेस्टिक, 484404 रुपये 

11: सुनील गोयल (तनिष्क ज्वेलर्स) 456135 रुपये 

12: नरेश ग्रोवर, पंकज पुरी, नीरज पुरी, टैगोर मार्ग (वृंदावन टावर), 402169 रुपये 

13: राजकुमार भाटिया गांधी रोड (होटल श्याम रेजीडेंसी), 389117 रुपये 

14: अजय कुमार गुप्ता टैगोर मार्ग (ग्रैंड प्लाजा कांप्लेक्स), 138380 रुपये 

15: आरएन सकलानी और निशा सकलानी राजपुर रोड (शेखर एंड मयंक डिजाइनर), 68977 रुपये 

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नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि सेल्फ असेसमेंट प्रणाली जनता की सुविधा के लिए शुरू की गई थी, लेकिन कुछ प्रतिष्ठानों ने इसमें हेराफेरी कर दी। नियमों के तहत पहले ही तय है कि अगर असेसमेंट में गड़बड़ी पाई गई तो शेष राशि पर चार गुना जुर्माना लगाकर वसूली की जाएगी। कर अनुभाग की ओर से असेसमेंट के सत्यापन में पूर्व में जो लापरवाही बरती जा रही थी, वह अब नहीं होगी। निगम ने पहले चरण में 50 प्रतिष्ठानों का सत्यापन किया है। जिन प्रतिष्ठानों में गड़बड़ी मिली है, उन्हें चार गुना जुर्माना लगाकर नोटिस भेजे गए हैं। जल्द ही सभी प्रतिष्ठानों का मौके पर सत्यापन किया जाएगा।

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