परीक्षा हुई नहीं और कंपनी को 54 लाख देकर भूला निगम
उत्तराखंड वन विकास निगम एक के बाद एक कर लापरवाही उजागर हो रही है। निगम प्रशासन एक कंपनी को करीब 54 लाख 80 हजार रुपये का भुगतान कर भूल गया है।
देहरादून, [सुमन सेमवाल] : उत्तराखंड वन विकास निगम में वित्तीय अनियमितताएं चरम पर पहुंच गई हैं। अब आरटीआइ के माध्यम से ऐसे दस्तावेज बाहर आए हैं, जिनमें निगम प्रशासन एक कंपनी को करीब 54 लाख 80 हजार रुपये का भुगतान कर भूल गया है। यह राशि कंपनी को विभिन्न पदों पर परीक्षा आयोजित कराने के लिए दी गई थी, जबकि परीक्षा पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुन्ता की ओर से आरटीआइ में मांगी गई जानकारी के मुताबिक, करीब एक साल पहले उत्तराखंड वन विकास निगम ने आशुलिपिक, उप लॉगिंग अधिकारी आदि पदों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। परीक्षा आयोजित कराने की जिम्मेदारी निगम ने दिल्ली की एसीई इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस प्रा.लि. कंपनी को दी गई।
इसके लिए कंपनी को बाकायदा 54 लाख 80 हजार रुपये का भुगतान एडवांस के तौर पर कर दिया गया। इससे पहले कि परीक्षा आयोजित की जाती, हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी। तब से करीब एक साल का समय हो गया और निगम ने कंपनी से इस राशि की वापसी को लेकर कोई भी प्रयास नहीं किए।
आरटीआइ में निगम ने जवाब दिया कि धनराशि वापसी को लेकर कोई पत्राचार नहीं किया गया है। यहां तक कि निगम ने यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि संबंधित कंपनी ने परीक्षा के नाम पर कुछ राशि खर्च भी की है या नहीं। ताकि शेष राशि वापस मांगी जाती।
1.35 करोड़ का काम कोटेशन पर
परीक्षा आयोजित करने के लिए एसीई इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस प्रा.लि. कंपनी का चयन भी सवालों के घेरे में है। क्योंकि कंपनी के चयन के लिए कोई टेंडर जारी नहीं किया गया, जबकि यह ठेका 1.35 करोड़ रुपये का था। महज कोटेशन के आधार पर ही कंपनी चयनित कर ली गई।
पदों की अर्हता पर लगी रोक
वन विकास निगम में न सिर्फ कंपनी के चयन में नियमों की अनदेखी की गई, बल्कि जिन पदों पर भर्ती की जानी थी, उनकी अर्हता तय करने में भी नियमावली का ध्यान नहीं रखा गया। इसी आधार पर कोर्ट ने यह रोक लगाई। ऐसे में भविष्य में इस परीक्षा को उसी रूप में आयोजित करने पर भी संशय खड़ा हो गया है। इन तमाम तथ्यों के बाद भी कंपनी को दी गई एडवांस राशि वापस न लिया जाना बड़े खेल की तरफ इशारे करता है।
वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक गंभीर सिंह ने बताया कि एसीई इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस प्रा.लि. कंपनी से पत्राचार शुरू किया जा रहा है। ताकि उनसे धनराशि वापस मांगी जा सके। जरूरत पड़ी तो इस मामले में कानूनी सलाह भी ली जाएगी।
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