स्वामी सानंद उपवास तोड़ना चाहते थे, लेकिन कोई उन्हें रोक रहा था: एम्स प्रशासन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि स्वामी सानंद उपवास तोड़ना चाहते थे, मगर परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति उन्हें रोक रहा था।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि स्वामी सानंद उपवास तोड़ना चाहते थे, मगर परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति उन्हें रोक रहा था। इस बात के ठोस आधार के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि स्वामी सानंद तीन बार एम्स में भर्ती किए गए। उनके साथ हमारी कई मर्तबा बातचीत हुई है, अगर ऐसा पता होता तो हम उसकी भी रिकॉर्डिंग करते। उन्होंने मातृ सदन द्वारा स्वामी सानंद की मौत के षड्यंत्र में शामिल होने संबंधी आरोप को खारिज करते हुए कहां की हम किसी को झूठ बोलने से कैसे रोक सकते हैं।
सानंद अपनी देह कर चुके हैं एम्स को दान
स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखे जाने संबंधी मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को किसी भी दशा में अंतिम दर्शन के लिए नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज कोई प्रदर्शनी की जगह नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्वामी सानंद अपनी देह एम्स को दान कर चुके हैं, परिजन भी सहमति जता चुके हैं। इसलिए दान की हुई वस्तु को वापस लेने का कोई औचित्य नहीं है।
एम्स निदेशक बोले, कई बीमारियों से जूझ रहे थे स्वामी सानंद
एम्स निदेशक प्रो. रविकांत के अनुसार स्वामी सानंद के शरीर में ग्लूकोज और पोटेशियम की कमी के कारण गुरुवार दोपहर हृदयघात हुआ। इसी से उनकी मौत हुई। उन्हें उच्च रक्तचाप की शिकायत रहती थी, जो डेंजर लाइन तक पहुंच जाता था। इसकी वह दवा ले रहे थे। उनके हार्ट के आर्टिक वाल्व में दो ब्लाकेज थे, जिसका उन्होंने उपचार नहीं कराया।
उन्हें आंतों में हॉर्निया की भी शिकायत थी, प्रोस्टेट बढ़ा हुआ था। लंबे समय से वह इन खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें कॉर्डियोग्राफी की सलाह भी दी गयी थी। इस बीच उनके शरीर में अचानक ग्लूकोज और पोटेशियम की कमी आ गयी। जिससे उनके हृदय ने काम करना बंद कर दिया। गुरुवार सुबह उप जिलाधिकारी ऋषिकेश के साथ वार्ता के बाद स्वामी सानंद को एम्स दिल्ली रेफर करने की तैयारी की गई थी। शाम तक उन्हें दिल्ली भेजना था। मगर, उससे पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गयी।
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