बसंत पंचमी पर जम्मू के शंकराचार्य सहित तमाम संतों ने किया गंगा स्नान, कोविड नियमों का हुआ पालन; तस्वीरें
Basant Panchami 2021 महाकुंभ के अवसर पर वसंत पंचमी के पर्व स्नान के लिए अखिल भारतीय सनातन संत समिति के आह्वान पर नागा साधु और अन्य सन्यासी सोमेश्वर मंदिर मार्ग परशुराम चौक पर एकत्र हुए हैं। यहां से शोभा यात्रा बैंड बाजों के साथ नगर परिक्रमा के लिए निकाली जाएगी।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Basant Panchami 2021 महाकुंभ 2021 के चलते बसंत पंचमी के पर्व पर जम्मू के शंकराचार्य सहित तमाम षड्दर्शन साधु समाज और अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के संतों नेे केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कोविड-19 के लिए जारी की गई गाइडलाइन का पालन करते हुए गंगा स्नान किया। इससे पूर्व छड़ी पूजन किया गया। बसंत पंचमी पर्व के स्नान पर कई अखाड़ों द्वारा परशुराम चौक से शोभा यात्रा का प्रारंभ बैंड बाजों के साथ किया, जो कि हीरालाल मार्ग से अंबेडकर चौक, रेलवे मार्ग, घाट चौक, लक्ष्मण झूला मार्ग, क्षेत्र बाजार, पुराना बस अड्डा होते हुए भगवान श्री भरत मंदिर की परिक्रमा के लिए पहुंचे।
श्री भरत नारायण की प्रक्रिया करने के बाद त्रिवेणी के संगम पर गंगा में डुबकी लगाकर अखाड़ों द्वारा स्थापित धर्म ध्वजा की परिक्रमा करने के बाद शोभा यात्रा का समापन किया गया। उल्लेखनीय है कि बसंत पंचमी के पर्व पर कुंभ मेला प्रशासन द्वारा संतो के स्नान को लेकर दी गई थी, अनुमति के चलते षड्दर्शन साधु समाज और अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के आह्वान पर महानिर्वाणी आवाहन जूना, निरंजनी एवं षड्दर्शन साधु समाज के संतो ने ऋषिकेश संगम पर डुबकी लगाई।
बसंत पंचमी पर्व को लेकर नगर निगम ऋषिकेश की महापौर अनीता ममगाईं सहित व्यापार सभा, सामाजिक, राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त स्थानीय नागरिकों ने संत समाज का ऋषिकेश के संगम पर स्नान किए जाने को लेकर पिछले एक महीने से तैयारियां की जा रही थी। जम्मू कश्मीर से पहुंचे शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य शारदा पीठ के स्वामी अनंतानंद ने कहा कि ऋषिकेश संगम पर स्नान किए जाने का पुराणों में भी माहतम बताया गया है।
उन्होंने कहा कि ऋषिकेश त्रिवेणी का संगम को गंगा जमुना सरस्वती का संगम न होने के कारण गंगाद्वार भी कहा जाता है। इसलिए यहां का स्नान बसंत पंचमी के दिन काफी महत्वपूर्ण है। वहीं, उत्तराखंड षडदर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म के समाज के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबा भूपेंद्र गिरि ने कहा कि उत्तराखंड को देव भूमि के रूप में जाना जाता है। ऋषिकेश त्रिवेणी संगम को देवताओं के स्नान के लिए केदार खंड व स्कंद पुराण में तीर्थराज प्रयाग से सहस्त्र गुना अधिक स्नान का महत्व बताया गया है। षडदर्शन साधु समाज के अखिल भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष मंहत गोपाल गिरी, प्रदेश महामंत्री कपिल मुनि, कोषाध्यक्ष इंदर गिरी के नेतृत्व में संतों ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ कमाया।
इस अवसर पर गौरी शंकर मंदिर के नागा बाबा भोलागिरी, श्री महंत गोपाल गिरी, महंत इंदर गिरी, महेंद्र थानापति रवि गिरी हरिद्वार, महेंद्र थानापति गीतानंद महाराज, झज्जर हरियाणा आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. शिव स्वरूप नंद सरस्वती जोधपुर, महंत कमलेश्वर, आशुतोष पुरी, महंत कपिल मुनि कबीरचौरा आश्रम, राजेश गिरी, संरक्षक नीलकंठ महाराज, महामंत्री सत्य गिरि महाराज, कैलाश पुरी, राजेश गिरि, थाना पति जोगेंद्र गिरि सहित काफी संख्या में संतों ने स्नान किया।
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