इस विदेशी जोड़े को भायी भारतीय संस्कृति, अग्नि को साक्षी मान लिए सात फेरे
शनिवार को परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में एक रशियन जोड़े ने दोनों ने गंगा तट पर अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा का सम्मान करने वाला एक रशियन जोड़ा शनिवार को तीर्थनगरी में गंगा तट पर विवाह सूत्र में बंधा।
रूस के सोची शहर के रहने वाले रूस्लान व वेलोवाइवा पहले से ही एक दूसरे के परिचित थे। वह कुछ वर्ष पूर्व जब भारत घूमने आए तो यहां भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा से रूबरू हुए। दोनों ने भारतीय वैदिक परंपरा के अनुसार परिणय सूत्र में बंधने का निर्णय लिया। इस बार रूस्लान व वेलोवाइवा शादी रचाने के लिए दोबारा भारत आए।
शनिवार को परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में दोनों ने गंगा तट पर अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। परमार्थ गुरुकुल के आचार्यों एवं ऋषिकुमारों ने विवाह संस्कार संपन्न कराया। स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने नव विवाहित जोड़े को आशीर्वाद देते हुए कहा कि पूरी दुनिया में ङ्क्षहदू धर्म के अनुयायी अनेक सांस्कृतिक और पारंपरिक उत्सव मनाते हैं। उन सब में विवाह का उत्सव प्रमुख होता है। विवाह में केवल दो दिलों का नहीं बल्कि दो परिवारों का मेल होता है आज मां गंगा के तट पर दुनिया के दो देशों की संस्कृतियों का मिलन हो रहा है यह एक ऐतिहासिक अवसर है।
उन्होंने कहा कि यह संस्कृति का ही आकर्षण है कि लोग गोवा के तट को छोड़कर गंगा के तट पर आ रहे है। जीवन की शुरुआत गंगा तट से हो तो जीवन भी गंगा सागर बन जाता है। नवविवाहित रूस्लान व वेलोवाइवा ने कहा कि रूस से ऋषिकेश आकर विवाह करना हमारे लिए ईश्वरीय वरदान से कम नहीं है। हमारे नए जीवन की शुरुआत पर पहला तोहफा स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने दिव्य रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया है, जो हमें सदैव पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करता रहेगा।
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