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त्योहार में बेफिक्री कहीं भारी न पड़ जाए, बाजार व सार्वजनिक स्थलों पर शारीरिक दूरी का नियम तार-तार

उत्तराखंड में कोरोना की रफ्तार कम जरूर हुई है पर इससे उत्साहित होने की जरूरत नहीं। बल्कि और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है ताकि कोरोना संक्रमण के मामलों में दोबारा इजाफा न हो। लेकिन स्थिति इससे ठीक उलट है। बाजार में खरीदारी के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 09:14 AM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 09:14 AM (IST)
त्योहार में बेफिक्री कहीं भारी न पड़ जाए, बाजार व सार्वजनिक स्थलों पर शारीरिक दूरी का नियम तार-तार
नियम तार-तार : पलटन बाजार में मंगलवार को करवा चौथ की खरीदारी के लिए दिनभर भीड़ उमड़ती रही।

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में कोरोना की रफ्तार कम जरूर हुई है, पर इससे उत्साहित होने की जरूरत नहीं है। बल्कि और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि कोरोना संक्रमण के मामलों में दोबारा इजाफा न हो, लेकिन स्थिति इससे ठीक उलट है। बाजार में खरीदारी के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है और लोग बेफिक्र घूम रहे है।

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त्योहारी सीजन में वक्त के साथ-साथ दुकानदार और ग्राहक दोनों में कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता की कमी आने लगी है। अन्य सार्वजनिक स्थलों पर शारीरिक दूरी जैसी व्यवस्थाओं की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यही नहीं बड़ी संख्या में लोग बिना मास्क घूमते दिखाई पड़ जाएंगे। ऐसे में यह लापरवाही आने वाले दिनों में कहीं भारी न पड़ जाए। जिस तरह से बाजारों में भीड़ बढ़ रही है, आगे मामले बढ़ सकते हैं।

अनलॉक-छह की रियायतें और त्योहारी सीजन की तैयारी के साथ कोविड-19 महामारी के खतरे को भी ध्यान में रखना होगा। त्योहारों को अपने घर-परिवार और समुदाय के बीच मनाने की खास परंपरा रही है। पर इस बार कोरोना के चलते खास सावधानी बरतने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों में संक्रमण बढ़ने की आशंका ज्यादा है। कोविड-19 और सर्दी के मौसम के बीच रिश्ते को अभी अच्छी तरह स्थापित नहीं किया गया है, पर बदलते मौसम का रिश्ता दूसरी बीमारियों व वायरल संक्रमण से जरूर है। इस दौरान एहतियात नहीं बरती गई, तो संक्रमण पहले की अपेक्षा तेजी से फैल सकता है। दुनिया के कई देशों खासकर यूरोप और अफ्रीका में कोरोना की एक और लहर ने दस्तक दी है। देश की ही बात करें तो महाराष्ट्र व केरल इस बात का उदाहरण हैं कि एहतियात न बरती गई तो स्थिति फिर बेकाबू हो सकती है। ऐसे में सावधानी ही एकमात्र बचाव है।

त्योहार के उल्लास में जिम्मेदारी न भूलें

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अनूप कुमार डिमरी के अनुसार खुद को और अपने करीबी लोगों को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए मास्क पहनने के साथ, थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ धोना, हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल और दूसरों से शारीरिक दूरी बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। त्योहार के उल्लास में भी यह बात बिल्कुल न भूलें। दोस्तों या किसी जानकार से मिलते वक्त हाथ मिलाने से बचें और नमस्ते का उपयोग करें। बचाव के नियमों का पालन करते हुए स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार और समाज को बचाया जाय, यही सबसे महत्वपूर्ण है। गांधी अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. प्रवीण पंवार के अनुसार दुनियाभर में कई लोगों को कोविड-19 संक्रमण हुआ और वे उससे ठीक भी हो गए। ऐसे में कई लोग ऐसी धारणा बना लेते हैं कि वे बीमार भी पड़े तो ठीक हो जाएंगे। इसलिए कोरोना वायरस की सावधानियों में लापरवाही करते हैं। यह सही नहीं है। अगर सामाजिक दूरी, मास्क लगाने की आदत में ढील बरती गई तो कोरोना का खतरा बढ़ जाएगा। त्योहारों की धूम में अपनी जिम्मेदारी को नहीं भूलना है।

इन बातों का रखें ख्याल

  • भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों, धार्मिक स्थलों पर जाने से बचें।
  • परिवार संग बाहर गए हैं तो इधर-उधर की चीजों को हाथ लगाने या छूने से बचें।
  • बाजार में भी केवल जरूरत की चीजों को छूएं या उठाएं।
  • किसी सामान को छूने के बाद हाथों से चेहरे और आंख नाक को नहीं छूना है।
  • जहां तक हो सके डिजिटल पेमेंट के विभिन्न तरीकों का प्रयोग करें।
  • घर से बाहर निकलने से पहले चेहरे को ढक के सुरक्षित करें।
  • सैनिटाइजर साथ रखें और समय-समय पर हाथ सैनिटाइज करते रहें।
  • इस महामारी में बाहर की चीजों को खाने से बचें।

दो गज की दूरी जरूरी

जब से कोरोना की दस्तक हुई हर स्तर पर शारीरिक दूरी के महत्व को रेखांकित किया जा रहा है। मगर मौजूदा वक्त में इसका ठीक ढंग से पालन नहीं हो पा रहा है। यहां यह समझने की जरूरत है कि कोरोना के खिलाफ इस जंग में आपका रवैया भी बहुत अहमियत रखता है। जब तक जनता का सहयोग नहीं मिलेगा, सारी नीतियां और कदम बेकार हैं। यह समझना होगा कि समस्या से मुंह मोड़ लेना समाधान नहीं है। 

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