आरटीई के प्रवेश नियमों की स्कूल उड़ा रहे धज्जियां, शिकायत पर बीईओ ने दिए कार्रवाई के आदेश
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत क्षेत्र के विद्यालयों में प्रवेश में स्थानीय को वरीयता न देने की शिकायत खंड विकास अधिकारी से कनिष्ठ ब्लॉक प्रमुख ने की है।
विकासनगर (देहरादून), जेएनएन। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत क्षेत्र के विद्यालयों में प्रवेश में स्थानीय को वरीयता न देने की शिकायत खंड विकास अधिकारी से कनिष्ठ ब्लॉक प्रमुख ने की है। उन्होंने मामले में जल्द कार्रवाई की मांग की है। अगस्त के आखिरी सप्ताह में जारी आरटीई के तहत प्रवेश की सूची को विकासनगर ब्लॉक की कनिष्ठ प्रमुख रेनू खान ने गलत बताया है। उनका कहना है कि आरटीई प्रवेश की प्रक्रिया में छात्रों को पास के विद्यालयों में प्रवेश देने के नियम का पालन नहीं किया गया है।
उन्होंने क्षेत्र के कई विद्यालयों का जिक्र करते हुए कहा कि इन विद्यालयों में जितने भी छात्र-छात्राओं को आरटीई के तहत प्रवेश दिया गया है, उनमें अधिकतर विद्यालय से काफी दूरी पर निवास करते हैं। जबकि, कई स्थानीय अभिभावकों ने बच्चों के प्रवेश के लिए आवेदन किया था। उन्होंने कहा यदि जीवनगढ़ क्षेत्र के आसपास स्थित इन विद्यालयों में प्रवेश की यह स्थिति हैं तो विकासनगर क्षेत्र के अन्य विद्यालयों में भी ऐसी ही प्रवेश प्रक्रिया को अपनाया गया होगा। उन्होंने कहा अधिनियम के तहत आरटीई के तहत विद्यालय के आसपास रहने वाले बच्चों का प्रवेश पर पहला अधिकार है।
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15 सीटों पर केवल आठ स्थानीय बच्चों को मिला प्रवेश
जीवनगढ़ स्थित द सैंपियस स्कूल में आरटीई के तहत होने वाले प्रवेश की सूची पर क्षेत्रवासियों ने आपत्ति जताई है। जीवनगढ़ के ग्रामीणों ने उप खंड शिक्षा अधिकारी को दिए शिकायती पत्र में बताया कि लॉटरी के माध्यम से जीवनगढ़ क्षेत्र के मात्र आठ बच्चों को प्रवेश मिल पाया। जबकि, सात अन्य बच्चे अन्य ग्राम पंचायतों के हैं। उन्होंने कहा आरटीई के तहत विद्यालय जिस गांव या शहर में स्थित है, वहीं के बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिए जाने का नियम है। इस प्रक्रिया में नियम का उल्लंघन करके बाहरी बच्चों को प्रवेश दिया गया है। इसकी जांच होनी चाहिए। खंड शिक्षाधिकारी को ज्ञापन देने वालों में फतेह आलिम, मेहताब अली, मोहसिन, हनीफ, साजिद, राजेश ङ्क्षसह पंवार आदि शामिल रहे।