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झड़ीपानी स्थित सरकारी स्कूल का जिम्मा लेगा रोटरी क्लब

रोटरी क्लब दून शिवालिक हिल्स ने मसूरी के झड़ीपानी स्थित सरकारी स्कूल की देखरेख की जिम्मेदारी उठाने की बात कही है। इससे पहले भी क्लब राजपुर रोड स्थित पूर्व माध्यमिक स्कूल की भी देखरेख का जिम्मा संभाल चुका है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 04:10 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 04:10 PM (IST)
झड़ीपानी स्थित सरकारी स्कूल का जिम्मा लेगा रोटरी क्लब
रोटरी क्लब दून शिवालिक हिल्स ने मसूरी के झड़ीपानी स्थित सरकारी स्कूल की देखरेख की जिम्मेदारी की बात कही है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: रोटरी क्लब दून शिवालिक हिल्स ने मसूरी के झड़ीपानी स्थित सरकारी स्कूल की देखरेख की जिम्मेदारी उठाने की बात कही है। इससे पहले क्लब राजपुर रोड स्थित पूर्व माध्यमिक स्कूल की भी देखरेख का जिम्मा संभाल चुका है। क्लब के नवनियुक्त अध्यक्ष पुनीत टंडन ने कहा कि कोरोना को देखते हुए क्लब ने स्वास्थ्य सेवा में भी योगदान देने का फैसला किया है।

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शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में नई कार्यकारणी ने कार्यभार संभाला। इसके साथ क्लब के आगामी कार्यक्रम जारी करते हुए क्लब के अध्यक्ष टंडन और सचिव तपन कौशिक ने बताया कि झड़ीपानी के सरकारी स्कूल की देखरेख समेत क्लब देहरादून के गांधी शताब्दी अस्पताल में जरूरी सुविधा जुटाने में मदद करेगा। आमजन की सुविधा के लिए क्लब को कोरोना टीकाकरण के लिए भी स्वास्थ्य विभाग से अनुमति मिल चुकी है। जल्द स्वास्थ्य जांच एवं रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा।

वहीं, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रोटरी अजय मदान ने नई टीम से समाज हित में कार्य करने का आह्वान किया। इस दौरान विशिष्ट अतिथि मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता, क्लब के पूर्व अध्यक्ष सुनील शर्मा व रसिक भाटिया समेत रोटरी के असिस्टेंट गवर्नर अतुल कुमार, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुकुम सिंह उनियाल, मुकुल शर्मा, डा. डीपी नवानी, अंकित अग्रवाल, जागृति नवानी, डा. बीके ओली, डा. जयंत नवानी, डा. अखिल कुकरेजा व संदीप सिंह आदि मौजूद रहे।

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स्वास्थ्य मंत्री मेडिकल कालेजों की फीस पर विचार करें : जोशी

देहरादून : सैनिक कल्याण व औद्योगिक विकास मंत्री गणेश जोशी ने स्वास्थ्य मंत्री डा.धन सिंह रावत को पत्र भेज राजकीय मेडिकल कालेजों में छात्रों से ली जा रही अधिक फीस का मामला उठाया है।

पत्र में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के राजकीय मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस कोर्स के लिए सरकार की ओर से वर्ष 2019 में रियायती शुल्क बांड व्यवस्था समाप्त कर दी गई। जिसके बाद विद्यार्थियों को चार लाख, 26 हजार, पांच सौ रुपये वार्षिक शुल्क जमा करना पड़ रहा है। शुल्क अधिक होने व उसे वहन नहीं करने के कारण कुछ विद्यार्थियों को अपनी सीट छोडऩी पड़ी है। देश के अन्य मेडिकल कालेजों में अधिकतम शुल्क डेढ़ लाख रुपये है। जबकि हमारे पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश में फीस काफी कम है। उत्तराखंड में छात्रों को अनावश्यक रूप से अधिक फीस देनी पड़ रही है।

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