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रोडवेज प्रबंधन ने तीन हजार कर्मचारियों का वेतन काटा, विरोध में संगठन ने दी आंदोलन की चेतावनी

कोरोना काल में अपने करीब तीन हजार संविदा व विशेष श्रेणी कर्मचारियों को रोडवेज प्रबंधन ने बड़ा झटका दिया है। विरोध में संगठन ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 02:01 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 02:01 PM (IST)
रोडवेज प्रबंधन ने तीन हजार कर्मचारियों का वेतन काटा, विरोध में संगठन ने दी आंदोलन की चेतावनी
रोडवेज प्रबंधन ने तीन हजार कर्मचारियों का वेतन काटा, विरोध में संगठन ने दी आंदोलन की चेतावनी

देहरादून, जेएनएन। कोरोना काल में अपने करीब तीन हजार संविदा व विशेष श्रेणी कर्मचारियों को रोडवेज प्रबंधन ने बड़ा झटका दिया है। तीन माह से बगैर वेतन काम कर रहे इन कर्मचारियों का मई का आधा वेतन काट लिया गया है। प्रबंधन ने बस संचालन न होने का हवाला देते हुए श्रम विभाग की ओर से तय न्यूनतम वेतन प्रणाली के आधार पर वेतन देने का विकल्प निकाला है। इन कर्मचारियों को अधिकतम वेतन 9124 रुपये मिलेगा, जबकि अप्रैल में वेतन 16 से 18 हजार रुपये तक दिया गया था। प्रबंधन के फैसले के विरुद्ध उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने आंदोलन की चेतावनी दी है। 

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कोरोना काल में एक-एक रुपये की बचत करने में जुटे रोडवेज प्रबंधन ने सभी मंडलों और डिपो प्रबंधकों को इसी फामरूले पर मई का वेतन बनाने के आदेश दिए हैं। शनिवार को महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन की ओर से जारी आदेश में नियमित कर्मियों को पूरा वेतन व भत्ते देने के आदेश दिए। सिर्फ वर्दी व प्रदूषण भत्ता नहीं मिलेगा। सरकार के आदेश पर कोविड-19 के तहत प्रबंधन ने नियमित कर्मियों का एक दिन का वेतन काटकर मुख्यमंत्री राहत कोष में भेजने का आदेश भी दिया। संविदा और विशेष श्रेणी के वेतन के लिए पूर्व में किए औसत किमी को छोड़कर न्यूनतम वेतन प्रणाली पर दिया जाएगा, जो 9124 रुपये से कम होगा। यह प्रणाली ही संविदा तकनीकी व आउटसोर्स कर्मियों पर भी लागू होगी। वहीं, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि  प्रबंधन का यह फरमान तुगलकी है और यूनियन इसके विरुद्ध आंदोलन करेगी। इस मसले पर सोमवार को यूनियन की आपात बैठक बुलाई गई है।

प्रबंधन ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया हुआ है कि संविदा और विशेष श्रेणी कर्मचारियों को ‘समान काम समान वेतन’ प्रणाली पर नियमित की तरह वेतन दिया जा रहा है। इसे लेकर विधिक राय ली जा रही है। जरूरत पड़ी तो यूनियन हाईकोर्ट भी जाएगी। कर्मचारी तीन माह से बिना वेतन काम कर रहे और इस स्थिति में भी तनख्वा आधी मिलेगी, यह न्याय संगत नहीं है। यूनियन आंदोलन करेगी। 

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जिनके किमी ज्यादा, सिर्फ वे ही पाएंगे ज्यादा वेतन 

जिन चालक-परिचालकों ने मई में प्रवासी नागरिकों को लाने व ले जाने में बसें चलाईं हैं, उन्हें ज्यादा वेतन मिल सकता है। इसमें शर्त रखी गई है कि मई में अर्जित किए गए किलोमीटर का कुल मानदेय श्रम विभाग से तय अधिकतम वेतन से ज्यादा हो। प्रबंधन के मुताबिक ऐसे कर्मचारियों को कुल किमी के आधार पर वेतन जारी होगा। 

प्रबंधन को बचेंगे करीब डेढ़ करोड़ रुपये 

संविदा व विशेष श्रेणी कर्मियों का वेतन काटने के बाद रोडवेज प्रबंधन को लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की बचत होगी। हर माह रोडवेज को वेतन के लिए करीब 21 करोड़ रुपये की जरूरत होती है। इनमें करीब पांच करोड़ रुपये संविदा व विशेष श्रेणी कर्मियों जबकि बाकी 16 करोड़ रुपये से नियमित कर्मियों को वेतन दिया जाता है। कर्मचारी यूनियन का आरोप है कि 80 फीसद बसों का संचालन संविदा व विशेष श्रेणी जबकि बाकी का नियमित कर्मी करते हैं। बावजूद इसके प्रबंधन संविदा और विशेष श्रेणी के साथ अन्याय कर रहा। 

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