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पर्वतीय मार्गों पर बेटिकट दौड़ रहीं रोडवेज बस, चालक-परिचालक जमकर लगा रहे चूना

कोरोना काल में अंतरराज्यीय बस संचालन न होने से खराब आर्थिक दौर से गुजर रहे रोडवेज को उसके चालक-परिचालक जमकर चूना लगा रहे। मौजूदा समय में केवल 150 बस संचालित हो रहीं वो भी प्रदेश के अंदरूनी मार्गों पर। इनमें ज्यादातर के बेटिकट दौड़ने की शिकायत मिल रही।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 01:09 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 01:09 PM (IST)
पर्वतीय मार्गों पर बेटिकट दौड़ रहीं रोडवेज बस, चालक-परिचालक जमकर लगा रहे चूना
अंतरराज्यीय बस संचालन न होने से खराब आर्थिक दौर से गुजर रहे रोडवेज को उसके चालक-परिचालक जमकर चूना लगा रहे।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना काल में अंतरराज्यीय बस संचालन न होने से खराब आर्थिक दौर से गुजर रहे रोडवेज को उसके चालक-परिचालक जमकर चूना लगा रहे। मौजूदा समय में केवल 150 बस संचालित हो रहीं, वो भी प्रदेश के अंदरूनी मार्गों पर। इनमें ज्यादातर के बेटिकट दौड़ने की शिकायत मिल रही। ऐसी शिकायत पर गुरूवार को पर्वतीय मार्ग पर दो बस जांची गईं तो दोनों बेटिकट मिलीं। एक बस में 22 में से 15 यात्री, जबकि दूसरी में छह में तीन यात्री बेटिकट मिले। 

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रोडवेज मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक ऋषिकेश डिपो की साधारण बस यूके 07 पीए 2871 ऋषिकेश से गुप्तकाशी के लिए बुधवार सुबह पांच बजे रवाना हुई। बस का निर्धारित मार्ग ऋषिकेश-देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी तक का है, लेकिन ऋषिकेश-देवप्रयाग के बीच आल वेदर रोड के निर्माण के कारण मार्ग बंद है। लिहाजा, सभी बसें ऋषिकेश से घनसाली, कीर्तिनगर-श्रीनगर होकर संचालित हो रही हैं। बस पर चालक दयाल सिंह व नियमित परिचालक चंद्र मोहन तैनात थे। दून मंडल प्रबंधक संजय गुप्ता को इस मार्ग पर बसों के बेटिकट दौड़ने की शिकायत मिली थी। जिस पर उन्होंने यातायात निरीक्षक आलोक बनवाल के निर्देशन में स्पेशल टीम चेकिंग के लिए भेजी। टीम ने गुरूवार सुबह बस को लौटते हुए श्रीनगर से ऋषिकेश के बीच में चेक किया तो बस में छह सवारी मिलीं। इनमें से तीन बेटिकट थीं, जो तिलवाड़ा से ऋषिकेश तक की कुल 900 रुपये की थीं। टीम ने बस की रिपोर्ट मंडल प्रबंधक और डिपो प्रबंधक को भेज दी। 

दूसरा मामला, गुरुवार सुबह ऋषिकेश से गोपेश्वर के लिए रवाना हुई ऋषिकेश डिपो की साधारण बस यूके 07 पीए 4180 का है। बस पर विशेष श्रेणी परिचालक सन्नी गुंद तैनात था। टीम ने रुद्रप्रयाग के समीप बस चेक की तो उसमें 22 सवारी थीं। जांच में मालूम चला कि इनमें 15 सवारी श्रीनगर से बैठी थीं, लेकिन परिचालक ने उनके टिकट श्रीकोट से बनाए। टीम ने बस में 15 सवारी बेटिकट दर्ज कर दी। इस टीम में ऋषिकेश डिपो के यातायात निरीक्षक महेंद्र सिंह और सहायक यातायात निरीक्षक आनंद पाल व सुभाष कुमार शामिल थे।

बस ने लगा लिया डबल फेरा

चालक-परिचालक रोडवेज अधिकारियों की आंख में किस कदर धूल झोंक रहे हैं, इसका अंदाजा ऋषिकेश-गुप्तकाशी बस में देखने को मिला। यह बस बुधवार शाम को गुप्तकाशी पहुंच गई थी। नियमानुसार बस को गुरूवार सुबह ऋषिकेश के लिए चलना था, लेकिन चालक-परिचालक ने ऋषिकेश आने से पहले स्थानीय मार्ग पर डबल फेरा लगा लिया। प्रवर्तन टीम की जांच में मालूम चला कि बुधवार की शाम बस गुप्तकाशी से वापस तिलवाड़ा आई और तिलवाड़ा से फिर गुप्तकाशी पहुंची। करीब 80 किमी के इस फेरे का कोई रिकार्ड नहीं। यानी, फेरे में जो भी यात्री सवार हुए, वह रकम चालक व परिचालक डकार गए। 

बर्खास्त परिचालक का 'खेल'

ऋषिकेश-गुप्तकाशी मार्ग पर संचालित बस में जिस परिचालक चंद्र मोहन भंडारी की ड्यूटी थी, वह पहले बेटिकट मामले में हरिद्वार डिपो से बर्खास्त हो चुका है। उसने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में रोडवेज को दोबारा सुनवाई करने का मौका दिया, जिसके बाद मुख्यालय ने परिचालक भंडारी को नौकरी के सात साल रिवर्ट कर बहाल करते हुए ऋषिकेश डिपो में तैनात कर दिया। इसके बावजूद बेटिकट मामले से वह बाज नहीं आया।

क्या कर रहे टीएस, एक दिन में 25 बस करनी होती हैं चेक

रोडवेज में प्रवर्तन अनुभाग पूरी तरह संदेह के घेरे में है। सबसे ज्यादा सवाल यातायात अधीक्षक (टीएस) की कार्यप्रणाली पर उठ रहे। गढ़वाल मंडल में दो अधीक्षक नियुक्त हैं। एक मुख्यालय में है और दूसरा मंडल कार्यालय में। दोनों को चेकिंग को सरकारी वाहन भी मिले हुए हैं और नियमानुसार हर टीएस को न्यूनतम 25 बस रोज चेक करनी चाहिए, लेकिन यहां एक भी बस चेक नहीं हो रही। जब मंडल प्रबंध को सूचना मिली तब अधीक्षक चेकिंग पर गए। 

संजय गुप्ता (मंडल प्रबंधक देहरादून) का कहना है कि प्रवर्तन टीम ने कार्रवाई की मौखिक सूचना दे दी थी, लेकिन अभी वह लौटी नहीं है। लौटने पर पूरी रिपोर्ट दी जाएगी। उसके बाद चालक-परिचालक के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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