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दुष्कर्म पीड़िता की जान भी जोखिम में डाली

जागरण संवाददाता, देहरादून: भाऊवाला स्थित जीआरडी व‌र्ल्ड स्कूल प्रबंधन की एक और करतूत सामने आ

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 05:17 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 05:17 AM (IST)
दुष्कर्म पीड़िता की जान भी जोखिम में डाली
दुष्कर्म पीड़िता की जान भी जोखिम में डाली

जागरण संवाददाता, देहरादून: भाऊवाला स्थित जीआरडी व‌र्ल्ड स्कूल प्रबंधन की एक और करतूत सामने आई है। प्रबंधन ने सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित नाबालिग छात्रा को चुप्पी साधे रखने के लिए न केवल धमकाया, बल्कि देशी नुस्खे से उसका गर्भपात कराने की कोशिश कर उसकी जान भी जोखिम में डाली। ज्यादा रक्तस्राव होने पर वह उसे नर्सिग होम में लाए, जहां पीड़िता को उपचार दिया गया। तीन रोज बाद नर्सिग होम की डाक्टर से पुलिस का आमना-सामना हुआ तो स्कूल प्रबंधन का कारनामा पता चला।

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सहसपुर थानाध्यक्ष नरेश राठौर के मुताबिक पूछताछ में डाक्टर ने छात्रा के अस्पताल में पहुंचने के वक्त के हालात और उसके बाद दिए गए उपचार के बाबत सिलसिलेवार जानकारी दी। इस बीच, पुलिस ने बुधवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता और उसके पिता के बयान दर्ज कराए। दूसरी तरफ, बोर्डिग स्कूल में शर्मनाक घटना सामने आने के बाद अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को हॉस्टल से ले गए। प्रबंधन के खिलाफ कुछ संस्थाओं ने प्रदर्शन भी किया।

14 अगस्त, 2018 को नाबालिग छात्रा के साथ स्कूल परिसर में ही वहीं के चार छात्रो ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। पीड़िता और इसी स्कूल में पढ़ रही उसकी बहन ने स्कूल आया से लेकर निदेशक तक से इसकी शिकायत की, लेकिन किसी स्तर सुनवाई नहीं हुई। उल्टा दोनों बहनों को मुंह खोलने पर स्कूल से बर्खास्त करने की धमकी दी गई। महीनेभर से उन्हें धमकाया जा रहा था। तीन रोज पहले तबीयत बिगड़ने पर प्रबंधन ने उसका गर्भपात कराने का प्रयास किया तो मामला सबके सामने आया। पीड़िता के एक रिश्तेदार की तत्परता और एसएसपी निवेदिता कुकरेती की संवेदनशीलता के चलते प्रबंधन को ऐसा करते रंगेहाथों पकड़ लिया गया।

बुधवार को पुलिस जांच में चौंकाने वाला पहलू सामने आया। सहसपुर थानाध्यक्ष नरेश राठौर के मुताबिक दोपहर बच्ची को उपचार देने वाले नर्सिग होम की डाक्टर से पूछताछ की गई। पुलिस के अनुसार जांच में सामने आया कि मासिक धर्म न आने पर 16 सितंबर को छात्रा को गर्भवती होने का अहसास हुआ तो उसने यह बात स्कूल की आया मंजू को बताई। हालांकि, दुष्कर्म की बात वह घटना वाले ही दिन प्रबंधन को बता चुकी थी, लेकिन उसे धमकाकर चुप करा दिया गया था। उसके गर्भवती होने की बात प्रबंधन तक पहुंची तो प्रशासनिक अधिकारी दीपक मल्होत्रा और उसकी पत्‍‌नी को पीड़िता का गर्भपात कराने की जिम्मेदारी दी गई। इसके लिए देशी नुस्खा अपनाया गया। इस दवा को खाने के बाद छात्रा को रक्तस्राव होने लगा और देखते ही देखते उसकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उसे किसी को भी यह बात न बताने की धमकी देकर स्कूल की राजपुर रोड स्थित शाखा में शिफ्ट कर दिया। रक्तस्राव नहीं रुकने पर प्रबंधन ने नई साजिश रची। स्कूल प्रबंधन के लोग फर्जी अभिभावक तैयार कर उसे राजपुर रोड स्थित नर्सिग होम में ले गए।

थानाध्यक्ष राठौड़ ने बताया कि नर्सिग होम की डाक्टर ने पूछताछ में बताया कि छात्रा के साथ एक महिला और एक पुरुष थे। दोनों ने खुद को छात्रा का अभिभावक बताया था। डाक्टर ने पूछताछ में बताया कि छात्रा को तेज रक्तस्राव हो रहा था, कारण पूछने पर छात्रा के साथ आए लोगों ने उसे कुछ घरेलू दवाएं देने की बात कही और बताया कि इसी के बाद से उसे रक्तस्राव होने लगा था। थानाध्यक्ष ने बताया कि डाक्टर का कहना कि बच्ची की स्थिति को देखते हुए अस्पताल में उसे मल्टीविटामिन और इन्फेक्शन रोकने की दवा दी गई। उन्होंने बताया कि डाक्टर के बयान क्रॉस चेक किए जा रहे हैं। बता दें कि गर्भपात कराने की कोशिश और साक्ष्य मिटाने के साथ ही पोक्सो एक्ट में स्कूल की निदेशक, प्रधानाचार्य, प्रशासनिक अधिकारी, उसकी पत्‍‌नी और आया समेत नौ की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें तीन नाबालिग आरोपी छात्र बाल सुधार गृह में हैं।


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