फिर जीवंत हुए भारतीय सैन्य अकादमी में बिताए लम्हे
भारतीय सैन्य अकादमी में 1968 बैच की गोल्डन जुबली रि-यूनियन का आयोजन किया जा रहा है। जिसके लिए देशभर से दिग्गज दून में जुटे हैं।
देहरादून, जेएनएन। पांच दशक पूर्व भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट कैडेट (अब रिटायर्ड सैन्य अधिकारी) फिर उसी दौर में लौट आए हैं। अकादमी में 1968 बैच की गोल्डन जुबली रि-यूनियन का आयोजन किया जा रहा है। जिसके लिए देशभर से दिग्गज दून में जुटे हैं।
बुधवार को उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए 1968 बैच के ले. जनरल (सेनि.) पीके रामपाल ने बताया कि 21 दिसंबर 1968 को भारतीय सैन्य अकादमी से 439 कैडेट पासआउट हुए थे। जिन्होंने न केवल रण में, बल्कि रणनीतिक मोर्चे पर अपनी काबिलियत साबित की। 1971 के युद्ध में युवा सैन्य अफसरों ने अपने साहस और पराक्रम की मिसाल पेश की। इस बैच के अफसरों को कई अन्य ऐतिहासिक मोर्चो पर भी लड़ने का गौरव प्राप्त है। वीरता पदकों की लंबी फेहरिस्त खुद उनकी बहादुरी की कहानी कहती है। जिसमें तीन वीर चक्र व सात सेना मेडल शामिल हैं।
श्रीलंका में शाति स्थापना अभियान में भी इस बैच के अफसरों की सक्रिय भागीदारी रही। इसके अलावा पाकिस्तान व चीन सीमा पर तैनात रहने के साथ ही उत्तर पूर्वी राज्यों व कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ी। देश की हिफाजत करते बैच के पांच अफसर विभिन्न मोर्चो पर शहीद हुए।
आइएमए में आयोजित पुनर्मिलन समारोह में 321 अफसर व 14 वीर नारियां पहुंची हैं। जहां आइएमए में बिताए लम्हों को याद करने के साथ ही पिछले पांच दशक में आए बदलाव से भी रूबरू होंगे। इसके साथ ही देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैन्य अफसरों को युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। प्रेस वार्ता में लीग के अध्यक्ष ब्रिगेडियर (सेनि.) आरएस रावत, 1968 बैच के ब्रिगेडियर (सेनि.) पीटी घोघले, कर्नल (सेनि.) सुरेंद्र सेन आदि उपस्थित रहे।
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