Kargil Vijay Diwas: ये हैं कारगिल के रियल हीरो, जिन्होंने जीती जिंदगी की जंग
Kargil Vijay Diwas कारगिल युद्ध में कैप्टन (रिटायर्ड) सतेंद्र सांगवान माइनस 19 डिग्री सेल्सियस तापमान में दुश्मनों पर आग बनकर टूट पड़ेे थे।
देहरादून, जेएनएन। Kargil Vijay Diwas एक सैनिक और सच्चे नागरिक के लिए देश से बढ़कर कुछ नहीं होता। कितनी भी कठिनाइयां क्यों न आएं, वह अपने जज्बे और हौसले को हारने नहीं देता। आज हम आपको ऐसे ही एक हीरो से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसने पहले तो सैनिक के रूप में देश की खातिर अपनी जान तक दांव पर लगा दी और अब शारीरिक अक्षमता के बावजूद खेल के मैदान में दम दिखा रहा है। कारगिल युद्ध में यह जवान माइनस 19 डिग्री सेल्सियस तापमान में दुश्मनों पर आग बनकर टूट पड़ा था और दायां पैर गंवाने के बाद भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। इस शारीरिक अक्षमता ने भले ही उन्हें रण के मैदान से दूर कर दिया, मगर देश के प्रति दिलो-दिमाग में जो जज्बा कूट-कूट कर भरा था, वह उन्हें खेल के मैदान में ले आया। यह कहानी है रिटायर्ड कैप्टन सतेंद्र सांगवान की।
सांगवान की कहानी उनकी जुबानी
बकौल कैप्टन सांगवान कारगिल युद्ध में हमें काली पहाड़ी को दुश्मन के कब्जे से छुड़ाने के आदेश मिले। हमने अपनी 16-ग्रेनेडियर रेजीमेंट के कमांडो और सेकेंड राजपूताना रायफल के साथ 29 जून 1999 को पहाड़ी पर बनी पाकिस्तानी चौकी नष्ट कर उस पर कब्जे का प्रयास किया। दुश्मनों की भारी गोलाबारी में राजपूताना रायफल के तीन अफसर शहीद हो गए। अंधेरे में यह तक पता नहीं चल रहा था कि फायरिंग कहां से हो रही है। इसी बीच मुझे दाएं छोर से अटैक करने का आदेश मिला। कमांडो के साथ मैं पहाड़ी पर चढ़ने लगा। काली पहाड़ी से लगभग 100 मीटर पहले ऑपरेटर को छोड़ दिया। कुछ दूरी पर दुश्मन नजर आए तो मैंने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं, यह देख दुश्मन भाग खड़े हुए। रात के साढ़े 11 बज चुके थे। अंधेरे में बामुश्किल 10 मीटर ही नीचे की ओर चला था कि दायां पैर माइन पर पड़ गया। मैं धमाके के साथ कुछ मीटर हवा में उड़ा और एक चट्टान से जा टकराया। उठने की कोशिश की तो देखा कि दायां पैर ब्लास्ट से उड़ चुका है। मेरे कराहने की आवाज सुनकर जवान मेरी तरफ बढ़े, लेकिन मैंने उन्हें पहाड़ी पर कब्जे का आदेश दिया। टांग गंवाने के बावजूद मुझे मिशन पूरा करने की खुशी थी।
मेडल जीते, एवरेस्ट फतह किया
सेना से रिटायरमेंट के बाद कैप्टन सांगवान को ओएनजीसी में सेवा का मौका मिला। दून निवासी सांगवान फिलहाल दिल्ली ओएनजीसी हेडक्वार्टर में तैनात हैं। वहां रहते हुए उन्होंने बैडमिंटन रैकेट थामकर देश सेवा की राह चुनी। 2004 से 2010 के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं में कैप्टन सांगवान पैरालंपिक बैडमिंटन में नेशनल चैंपियन बने। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने आठ स्वर्ण, पांच रजत और पांच कांस्य पदक के साथ कुल 18 पदक जीते। इतना ही नहीं, कैप्टन सांगवान के नाम एवरेस्ट फतह का रिकॉर्ड भी है। 2017 में ओएनजीसी के दल प्रमुख होते हुए एवरेस्ट फतह किया था। विभिन्न खेलों में उत्तम प्रदर्शन के लिए उन्हें 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने ‘बेस्ट रोल मॉडल इन सोसायटी’ के रूप में सम्मानित किया गया। अब वह बेहतरीन मैराथन रनर भी हैं।
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