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गांवों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को पंचायतों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी

देश के अन्य हिस्सों की भांति उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेजी से पैर पसारने लगी है। यूं कहें कि अब स्थिति चिंताजनक होने लगी है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। शहरी क्षेत्रों में संक्रमण की गति बढ़ी है तो ग्रामीण इलाके भी इससे अछूते नहीं हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 07:06 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 10:52 PM (IST)
गांवों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को पंचायतों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी
गांवों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को पंचायतों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। देश के अन्य हिस्सों की भांति उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेजी से पैर पसारने लगी है। यूं कहें कि अब स्थिति चिंताजनक होने लगी है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। शहरी क्षेत्रों में संक्रमण की गति बढ़ी है तो ग्रामीण इलाके भी इससे अछूते नहीं हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रो को लेकर चिंता अधिक बढ़ गई है, क्योंकि वहां शहरी क्षेत्रों की तरह चिकित्सा सुविधाएं नहीं है।

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इसे देखते हुए सरकार ने गांवों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए पंचायतों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। वे ग्राम पंचायतों में साफ-सफाई, सैनिटाइजेशन, जनजागरण को कदम उठाएंगे ही, ग्राम प्रधानों और ग्राम स्तर पर तैनात कार्मिकों के माध्यम से प्रवासियों की निगरानी का जिम्मा भी उन्हें सौंपा गया है। वे तो अपनी इस जिम्मेदारी को निभा ही रहे, इसमें जनसहयोग भी आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह कोविड की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए गांवों को कोरोना संक्रमण से बचाने की मुहिम में सहयोग दे।

गांवों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए पंचायती राज विभाग के साथ ही ग्राम प्रधान जुटे हुए हैं। सरकार ने ग्राम पंचायत प्रधानों को पिछले वर्ष की भांति इस बार भी अधिकार दिया है कि वे कोविड संबंधी कार्यों पर राज्य एवं केंद्र वित्त आयोग से मिले अनटाइड फंड से 20 हजार रुपये तक की राशि खर्च कर सकते हैं।

इससे अधिक जरूरत पड़ने पर वे जिलाधिकारियों से अनुमति लेकर इससे ज्यादा राशि भी खर्च कर सकते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र व जिला पंचायतों से भी सैनिटाइजेशन, साफ-सफाई पर फोकस करने को कहा गया है। सबसे महत्वपूर्ण ये कि ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात कार्मिकों के कंधों पर प्रवासियों पर नजर रखने के साथ ही उनके लिए होम आइसोलेशन, क्वारंटाइन केंद्रों में व्यवस्था समेत अन्य कदम उठाने का जिम्मा भी है। साफ है कि उन पर बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन इसमें जनसामान्य का सहयोग बेहद जरूरी है। 

यदि कोई प्रवासी गांव पहुंच रहा है तो वह कोविड की गाइडलाइन का पालन करते हुए निर्धारित अवधि तक आइसोलेशन में रहे। अन्य व्यक्तियों को भी साफ-सफाई, सैनिटाइजेशन, दो गज की दूरी समेत अन्य मानकों का अनुपालन हर हाल में करना होगा। बात समझने की है कि सिर्फ सावधानी ही कोरोना संक्रमण से बचाव का एकमात्र जरिया है।

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