रेरा ने भेजा नोटिस, बिल्डर दे रहे हैं गोलमोल जवाब
रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट के मई 2017 में लागू हो जाने के बाद भी पंजीकरण न कराने वाले 150 बिल्डरों को नोटिस भेजे जाने के बाद भी अधिकतर बिल्डर नियमों की परवाह नहीं कर रहे।
देहरादून, जेएनएन। रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट के मई 2017 में लागू हो जाने के बाद भी पंजीकरण न कराने वाले 150 बिल्डरों को नोटिस भेजे जाने के बाद भी अधिकतर बिल्डर अभी भी नियमों की परवाह नहीं कर रहे। अभी तक महज 12 बिल्डरों ने जवाब दिया है, जिनमें से कई ने पंजीकरण न कराने के पीछे ऐसे जवाब दिए हैं, जो रेरा के भी गले नहीं उतर रहे।
500 वर्गमीटर से अधिक के भूखंड पर प्लॉटिंग करने, आवासीय या कमर्शियल परियोजना का निर्माण करने के लिए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में पंजीकरण कराना जरूरी है। इन नियमों को न मानने वाले बिल्डरों को ही रेरा ने नोटिस जारी किए थे। जवाब में एक बिल्डर ने कहा है कि उनका मानचित्र स्वीकृत है और निर्माण कार्य चल रहा है। हालांकि, उनका फ्लैट बेचने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने संपत्ति को किराये पर दिया है। जब वह बेचेंगे, तब पंजीकरण करा देंगे।
इसी तरह एक बिल्डर ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2014 में नक्शा पास कराया था और अब तक भी निर्माण नहीं किया गया है। दूसरी तरफ प्राइमरी कोओपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी ने जानकारी दी कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि इस तरह की सोसाइटी का भी पंजीकरण कराना होता है। कुछ बिल्डर ऐसे भी थे, जिनका पंजीकरण पूर्व में हो चुका है और अब रेरा उनके नोटिस निरस्त करने की तैयारी कर रहा है।
साथ ही एक बिल्डर ने बताया कि उनका प्रोजेक्ट 500 वर्गमीटर क्षेत्रफल से कम पर है और एक ने बताया कि उन्होंने 1000 वर्गमीटर पर फार्महाउस का निर्माण किया है। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि जिनके जवाब में संदेह पाया जा रहा है, उनकी जांच कराई जाएगी।
पनाष हाइट्स और जीटीएम को भी नोटिस
रेरा की ओर से पनाष हाइट्स और जीटीएम बिल्डर को भी नोटिस जारी कर दिया गया था। हालांकि, पनाष हाइट्स ने पंजीकरण होने की बात कही है, जबकि जीटीएम बिल्डर ने जवाब दिया कि उनका एक प्रोजेक्ट पूर्व में पूरा हो चुका है। जिस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, उसका पंजीकरण वह पहले ही रेरा में करा चुके हैं।
नोटिस अवधि पूरी, अब मुकदमे भी तैयारी
रेरा ने जो नोटिस भेजे थे, उनमें कुछ की अवधि 13 और 17 मई, जबकि कुछ की अवधि 22 मई को पूरी हो रही है। इसके बाद रेरा इन सभी को एक रिमाइंडर और भेजेगा और इसके बाद भी जवाब नहीं मिला तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
खाते में किसने डाले 18 लाख, रेरा हैरान
उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी पिछले कई दिनों से हैरान और परेशान है। परेशानी की वजह प्रशासनिक और वित्तीय दिक्कतें नहीं, बल्कि सरप्राइज के तौर पर मिले 18 लाख रुपये हैं। यह राशि पिछले वित्तीय वर्ष (2018-19) में रेरा के खाते में जमा कराई गई और इसका पता भी तब चला, जब खाते का ऑडिट किया जा रहा था।
रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि यह राशि 35 ट्रांजेक्शन के माध्यम से जमा कराई गई है। इनमें चार ट्रांजेक्शन करीब ढाई-ढाई लाख रुपये के हैं। अभी सिर्फ यही पता चल पाया है कि रेरा के खाते में राशि जमा कराई गई है। यह राशि किसने और क्यों जमा कराई, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि प्राधिकरण का खाता एमडीडीए कार्यालय के पास बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा में है। बैंक प्रबंधन से खाते का विवरण मांगा गया है। इसके बाद स्पष्ट हो पाएगा कि यह राशि किन लोगों ने जमा कराई। इसके बाद बैंक के माध्यम से उन्हें नोटिस भेजकर राशि जमा कराने का कारण पूछा जाएगा।
हालांकि, रेरा यह कयास भी लगा रहा है कि यह राशि पंजीकरण की हो सकती है, मगर फिर भी यह समझ नहीं आ रहा कि इस तरह रेरा में बिना पत्रावली दाखिल किए इस तरह राशि क्यों जमा कराई गई।
ऑडिट में नहीं मिला हिसाब
रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि ऑडिट के समय इन ट्रांजेक्शन को सीए ने पकड़ा। इसको लेकर जब रिकॉर्ड की पड़ताल की गई तो कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया। इसी के बाद अब बैंक से मदद मांगी गई है।
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