प्रशासन की रिपोर्ट का उत्तराखंड रेरा कराएगा गहन परीक्षण
भूखंडों की खरीद-फरोख्त में बरती गई अनियतिताओं पर प्रशासन की रिपोर्ट का उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने गहन परीक्षण कराने का निर्णय लिया है।
देहरादून, जेएनएन। सचिवालय आवासीय सहकारी समिति के भूखंडों की खरीद-फरोख्त में बरती गई अनियतिताओं पर प्रशासन की रिपोर्ट का उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने गहन परीक्षण कराने का निर्णय लिया है। इसकी वजह यह कि जांच रिपोर्ट में तमाम स्तर पर खामियों को उठाया तो गया है, मगर अपने स्तर पर सिर्फ स्टांप ड्यूटी चोरी पर कार्रवाई तय की गई है। शेष प्रकरणों पर अन्य एजेंसियों से कार्रवाई की अपेक्षा की गई है।
रेरा के अध्यक्ष विष्णु कुमार का कहना है कि समिति ने प्लॉटिंग के पंजीकरण की अनुमति मांगी है। ऐसे में सैकड़ों निवेशकों के हितों की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है। यह तभी संभव है, जब यह स्पष्ट हो जाए कि ले-आउट कितने भाग पर पास है और अब तक रजिस्ट्री कितने भाग पर की गई है। साथ ही नक्शे में दर्ज मार्ग किसके अधीन है और पार्क आदि की स्थिति क्या है।
क्योंकि यदि बिना पड़ताल के प्लॉटिंग को अनुमति दे दी जाती है तो उसका नुकसान निवेशकों को उठाना पड़ सकता है। लिहाजा, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के मुख्य अभियंता नत्था सिंह रावत को निर्देश दिए गए हैं कि वह सख्ती के साथ मामले में कार्रवाई कर अपनी रिपोर्ट दें। जांच टीम ने नहीं सुना एमडीडीए का पक्ष सचिवालय समिति जिस 350 बीघा क्षेत्रफल पर कॉलोनी का निर्माण प्रस्तावित कर रही है, उसका मार्ग एमडीडीए के स्वामित्व वाली भूमि को दिखाया गया है।
इसी आधार पर क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड ने दो ले-आउट प्लान को स्वीकृति दी और एक हिस्से पर स्वीकृति दिया जाना अभी शेष है। जांच रिपोर्ट में भी समिति के हवाले से इस बात को स्वीकार किया गया है कि मार्ग एमडीडीए का ही है। हालांकि इतने बड़े बिंदु पर जांच टीम ने एमडीडीए का पक्ष जाना ही नहीं। एमडीडीए के सचिव पीसी दुम्का का कहना है कि यदि उनका पक्ष जाना जाता तो वह स्थिति स्पष्ट कर देते।
क्योंकि रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना के तहत बिंदाल नदी के इस पूरे भाग पर उनका मार्ग प्रस्तावित है। इसको लेकर कैंट बोर्ड को पत्र भी लिखा गया था, मगर उन्होंने भी इस बात को अनदेखा कर दिया। एनजीटी के नियमों का भी समाधान जरूरी प्रशासन की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के मैदानी क्षेत्रों में बहने वाली नदी या सहायक नदी के 500 मीटर दायरे में निर्माण न किए जाने का सवाल है, उस पर उनके स्तर से कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह क्षेत्र कैंट बोर्ड के अधीन है, लिहाजा उन्हीं के स्तर से कार्रवाई होगी।
यह भी एक बड़ा कारण है कि रेरा ने रिपोर्ट के अनछुए पहलुओं या स्थिति को अधिक स्पष्ट न करने पर अलग से जांच करने का निर्णय लिया है। प्लान से अधिक पर रजिस्ट्री सचिवालय आवासीय समिति के भूखंडों की खरीद-फरोख्त के मामले में यह बात भी सामने आ रही है कि कैंट बोर्ड ने करीब 85 बीघा क्षेत्रफल पर ले-आउट स्वीकृत किया है, जबकि अब तक रजिस्ट्री 100 बीघा से अधिक भाग पर कर ली गई है। इस लिहाज से भी यह सीधे तौर पर रेरा के नियमों के खिलाफ है।
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