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कोई संजीवनी नहीं है रेमडेसिविर, कोरोना संक्रमित हर मरीजों को नहीं दिया जाता है यह इंजेक्शन

कोरोना की बढ़ती रफ्तार के साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मारामारी मची हुई है। कोरोना मरीजों के स्वजन इसके लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। जबकि विशेषज्ञों के अनुसार हर मरीज को इस इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 10:33 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 10:33 AM (IST)
कोई संजीवनी नहीं है रेमडेसिविर, कोरोना संक्रमित हर मरीजों को नहीं दिया जाता है यह इंजेक्शन
विशेषज्ञों के अनुसार हर मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना की बढ़ती रफ्तार के साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मारामारी मची हुई है। कोरोना मरीजों के स्वजन इसके लिए यहां-वहां भटक रहे हैं, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार हर मरीज को इस इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है। होम आइसोलेशन वाले मरीजों के लिए तो कतई नहीं। उनका कहना है कि कुछ लोग इसे ‘संजीवनी’ मान बैठे हैं, जो गलत है।

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राज्य में क्रिटिकल केयर और पेशेंट मैनेजमेंट के हेड डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि सामान्य लक्षण वाले मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। यदि किसी गंभीर लक्षण वाले मरीज में ऑक्सीजन का स्तर कम पाया जाता है, उन्हें इंजेक्शन देना जरूरी हो जाता है। बुखार कोरोना का मुख्य लक्षण है, लेकिन बुखार 100 डिग्री से अधिक हो और दो दिन तक तापमान कम होने का नाम न ले तब इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता पड़ सकती है। सामान्य बुखार में इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है। बल्कि दवा खाने से ही लाभ होने लगता है।

डॉ. सयाना के अनुसार कोरोना वायरस फेफड़ों पर बुरी तरह से हमला करता है। ऐसे में जिन व्यक्तियों के फेफड़ों में पहले से कोई समस्या है, तो यह इंजेक्शन प्रभावी हो सकता है। सीटी स्कैन में 25 प्रतिशत से अधिक संक्रमण नजर आता है, तो चिकित्सक रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि बेवजह इंजेक्शन लगा देने से मरीज को इसके दुष्परिणाम भी झेलने पड़ सकते हैं। तभी इंजेक्शन लगाने से पहले मरीज का लिवर, किडनी फंक्शन टेस्ट आदि कराया जाता है।

डॉ. सयाना के अनुसार रेमडेसिविर सभी मरीजों पर काम नहीं करता है। यह दवा मरीज को रिकवर करने में मदद कर सकती है, पर यह कहना गलत है कि इससे मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सकता है। किसी मरीज के ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर गया है और वह सांस लेने की स्थिति में नहीं है, व्यक्ति वेंटिलेटर पर है तो इसका असर नहीं होता है। यदि कोई इसे जीवनरक्षक मान बैठा है, तो वह गलत है।

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