Lockdown 4.0 में मिली राहत और पैकेज की घोषणा से बढ़ी छोटे उद्योगों की रफ्तार
केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन में मिली राहत और पैकेज की घोषणा से उद्योग जगत में एक बार फिर से नई जान आ गई है।
देहरादून, जेएनएन। लॉकडाउन से उद्योग जगत की रफ्तार काफी धीमी पड़ गई थी, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन में मिली राहत और पैकेज की घोषणा से उद्योग जगत में एक बार फिर से नई जान आ गई है। वहीं, सरकार ने एमएसएमई के तहत संचालित हो रहे उद्योगों के लिए भी कई प्रकार की छूट दी हैं, जिससे इन उद्योगों के भी रफ्तार पकड़ने की उम्मीद बढ़ गई है।
एमएसएमई चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राज अरोड़ा ने कहा कि सरकार ने सूक्ष्म उद्योग में एक करोड़, लघु उद्योग में 10 करोड़ व मध्यम उद्योग में 20 करोड़ के निवेश की छूट दी है। जिससे आने वाले समय में प्रदेश के उद्योगों को ऊंची उड़ान भरने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एमएसएमई में 64 हजार 338 उद्योग पंजीकृत हैं। जिनमें आज भी 2.91 लाख लोग सीधे तौर पर रोजगार से जुड़े हैं। इसके अलावा 21 हजार 508 कुटीर उद्योग ऐसे हैं, जो एमएसएमई से पंजीकृत नहीं हैं। इनमें से करीब 20 हजार उद्योग बीते चार सालों में बंद हो गए हैं। सरकार ने बंद पड़े ऐसे उद्योगों के लिए भी 20 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की व्यवस्था की है। इस बजट से इन उद्योगों के दिन बहुरने की उम्मीद है।
उत्तराखंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का कहना है कि उद्योग जगत बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय में सरकार ने उद्योगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है, इससे आने वाले समय में काफी लाभ मिलने की उम्मीद है। जो इकाई बीमार हैं, या आर्थिक संकट के कारण उत्पादन नहीं कर रही हैं, वह एक साल तक ब्याज रहित ऋण ले सकते हैं।
वहीं, इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन उत्तराखंड के अध्यक्ष राकेश भाटिया का कहना है कि राज्य सरकार को विशेषकर पहाड़ों के एमएसएमई उद्योग जो बंद हैं, उन्हें खोलने की समग्र योजना बनानी होगी। लॉकडाउन ने एमएसएमई उद्योगों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। इसलिए इन उद्योगों की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि सरकार ने कोशिश की है, उम्मीद है इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
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वहीं, मसाला उद्योग के पवन अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड की आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए एमएसएमई उद्योगों को आर्थिक मदद की सख्त जरूरत थी। इससे पलायन थमेगा व अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। छह मई के बाद एमएसएमई उद्योगों का उत्पादन पटरी पर लौटा है। आगे बेहतरी की संभावना है।