25 लाख के एसीपी घपले में 65 कार्मिकों से होगी रिकवरी
रोडवेज में शासनादेश से विपरीत बांटे गए एसीपी मामले में 65 कार्मिकों से रिकवरी के आदेश दिए हैं। अभी तक की जांच में कुल घपला 25 लाख के आसपास सामने आया है।
देहरादून, जेएनएन। रोडवेज में शासनादेश से विपरीत बांटे गए एश्योर्ड करियर प्रोमोशन (एसीपी) मामले में कड़े कदम उठाते हुए प्रबंध निदेशक बृजेश संत ने 65 कार्मिकों से रिकवरी के आदेश दिए हैं। अभी तक की जांच में कुल घपला 25 लाख के आसपास सामने आया है। बताया गया कि अभी करीब 20 और कार्मिक ऐसे हैं, जो जांच के दायरे में हैं। इनसे रिकवरी के आदेश भी जांच के आधार पर एक-दो दिन में हो सकते हैं। हालांकि, जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रबंध निदेशक इसे मानवीय चूक बता रहे हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि लापरवाही क्यों हुई, इसकी विस्तृत जांच कराई जा रही है। प्रबंध निदेशक ने बताया कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
मामले में सबसे बड़ी लापरवाही निगम के वित्त नियंत्रक की मानी जा रही है। इसे लेकर उनका स्पष्टीकरण मांगा गया है और दोनों महाप्रबंधकों की संयुक्त कमेटी जांच कर रही है। जांच में पहले 25 कर्मचारियों का पता लगा, जिन्हें नियम विरुद्ध एसीपी दिया गया था और फिर 40 कार्मिकों का। मंगलवार को प्रबंध निदेशक ने इन सभी से रिकवरी के आदेश दे दिए। गौरतलब है कि परिवहन निगम में वर्ष 2013 में एसीपी के बारे में जारी एक शासनादेश के आधार पर कर्मचारियों को एसीपी दिए गए। हालांकि, इस शासनादेश के तकरीबन छह माह बाद शासन ने दूसरा संशोधित शासनादेश जारी किया, जिसमें कुछ बदलाव किए गए थे।
यह शासनादेश परिवहन निगम तक पहुंचा ही नहीं। इसके चलते पुराने शासनादेश को मानते हुए ही निगम कर्मियों को एसीपी देने के साथ ही उन्हें वेतन वृद्धि का भी लाभ दिया जा रहा था। कुछ समय पहले निगम के लिपिक ने इस मामले को पकड़ा और उच्चाधिकारियों को पूरे मामले से अवगत कराया। तत्काल प्रारंभिक जांच कराई गई और 25 फोरमैन को नियमविरुद्ध दिए जा रहे लाभ पर रोक लगा दी। अधिकारी जब इसकी और गहराई में गए तो पता चला कि निगम में बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मियों को इसका लाभ दिया जा चुका है। मामला खुलने पर निगम इसमें तेजी से कार्रवाई पर जुटा हुआ है।
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