घाटे की मार झेल रहे राशन डीलर वापस कर रहे हैं दुकान Dehradun News
घाटे की मार झेल रहे राशन डीलर आपूर्ति विभाग को दुकान निरस्त करने के लिए आवेदन भेज रहे हैं। इसमें पहाड़ के राशन डीलरों की संख्या ज्यादा है।
By Edited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 10:45 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 02:10 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। घाटे की मार झेल रहे राशन डीलर आपूर्ति विभाग को दुकान निरस्त करने के लिए आवेदन भेज रहे हैं। इसमें पहाड़ के राशन डीलरों की संख्या ज्यादा है। उत्तराखंड सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद का दावा है, कि जिले के 30 फीसद से ज्यादा राशन डीलर दुकान निरस्त कराना चाहते हैं।
परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि वर्षो से राशन डीलर मानदेय, गोदाम से राशन की ढुलाई भाड़ा बढ़ाने, एपीएल कार्डों पर कमीशन बढ़ाने, इंटरनेट के लिए धनराशि देने समेत अन्य मांगें पूर्ति विभाग से की जा रही हैं, लेकिन सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई। ढुलाई का पैसा 10 साल से नहीं बढ़ा है, जबकि किराया हर साल बढ़ता जा रहा है। चकराता और कालसी जैसे क्षेत्रों में हालात और खराब हैं।
इस पर मुख्य पूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी ने कहा कि राशन डीलर दुकान निरस्त करने के लिए आवेदन भेज रहे हैं। इन्हें जिलाधिकारी को भेजा जा रहा है। दुकान की नियुक्ति और निरस्तीकरण पर अंतिम मुहर डीएम ही लगाते हैं। राशन डीलरों की मागों को शासन और मुख्यालय प्रेषित किया जाता है। वहां से कोई बदलाव होने पर इसे लागू किया जाएगा। गले की फांस बनी सस्ती दाल सरकार ने तीन महीने पहले प्रदेश में राशन की दुकानों पर सस्ते दाम में चने की दाल बेचने की योजना लागू की थी।
राशन डीलरों के लिए यह दाल गले की फांस बन गई है। 41 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही दाल पर राशन डीलरों को मात्र 18 पैसे का मुनाफा मिल रहा है। ऐसे में एक भी पैकेट खराब होने या फटने पर डीलर को बड़ा नुकसान होता है। इसके अलावा उपभोक्ता हर महीने दाल भी नहीं खरीदते। सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद के महासचिव राकेश महेंद्र ने बताया कि पहले महीने खरीदी गई दाल अभी भी बची हुई है। जिले के अधिकतर डीलरों ने इस महीने नहीं के बराबर दाल उठाई है।
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